"घर का भेदी, लंका ढाए..." Apple ने अपने ही कर्मचारी पर लगाया सबसे बड़ी जासूसी का आरोप, OPPO को बेची कंपनी की आत्मा!
Apple : टेक्नोलॉजी की दुनिया का वो किला, जिसकी दीवारों के अंदर क्या बनता है, क्या डिजाइन होता है, और भविष्य में कौन सा प्रोडक्ट दुनिया को हिलाने वाला है, यह सब कुछ एक गहरा राज होता है। इस कंपनी की सफलता का एक बहुत बड़ा कारण है अपने सीक्रेट्स को छिपाकर रखना।
लेकिन अब, इसी मजबूत किले में एक बहुत बड़ी सेंधमारी की खबर सामने आई है, जिसने पूरी टेक इंडस्ट्री में हड़कंप मचा दिया है। और यह सेंधमारी किसी बाहरी हैकर ने नहीं, बल्कि खुद कंपनी के एक पुराने और भरोसेमंद कर्मचारी ने की है। एप्पल ने अपने एक पूर्व इंजीनियर पर कंपनी के सबसे संवेदनशील और गुप्त राजों को चुराकर एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी, ओप्पो (OPPO) को बेचने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है।
कौन है यह 'घर का भेदी'?
इस कथित 'जासूस' का नाम एंड्रयू औड है। एंड्रयू एप्पल में एक सीनियर इंजीनियर के तौर पर काम करता था और उसकी पहुंच कंपनी के कुछ सबसे टॉप-सीक्रेट प्रोजेक्ट्स तक थी, जिसमें एप्पल का क्रांतिकारी विजन प्रो हेडसेट भी शामिल है। इसके अलावा, वह एप्पल के iOS सॉफ्टवेयर के उन हिस्सों पर काम कर रहा था जो भविष्य के आईफोन्स और दूसरे डिवाइसिस की नींव हैं।
कैसे दिया इस बड़ी चोरी को अंजाम?
एप्पल द्वारा दायर किए गए मुकदमे के अनुसार, एंड्रयू ने कंपनी छोड़ने से ठीक पहले के महीनों में इस बड़ी चोरी को अंजाम दिया।
- चुराई गईं हजारों फाइलें: उसने अपने आखिरी दिनों में, अपने काम के लैपटॉप से 5,000 से भी ज्यादा अति-संवेदनशील फाइलों को कॉपी किया। इन फाइलों में क्या था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें एप्पल के वो सीक्रेट डिजाइन और टेक्नोलॉजी शामिल थी जो उसे अपने प्रतिद्वंद्वियों से मीलों आगे रखती है।
- इस्तेमाल किया पर्सनल डिवाइस: यह सब कुछ उसने अपने कंपनी द्वारा दिए गए मैकबुक पर नहीं, बल्कि एक पर्सनल डिवाइस पर किया ताकि वह पकड़ में न आए।
- पहले से ही थी OPPO में नौकरी पक्की: और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जब वह एप्पल से ये सारे राज चुरा रहा था, तब उसके पास पहले से ही OPPO में नौकरी का ऑफर था। एप्पल का आरोप है कि उसने यह सब कुछ OPPO को फायदा पहुंचाने के लिए ही किया।
एप्पल क्यों है इतना गुस्से में?
यह सिर्फ कुछ फाइलों की चोरी का मामला नहीं है। यह एप्पल की "आत्मा" की चोरी जैसा है। कंपनी अपनी रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) पर अरबों डॉलर खर्च करती है। यह चोरी उन सालों की मेहनत और पैसे को सीधे-सीधे अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक के हाथ में देने जैसा है।
एप्पल ने इस इंजीनियर से हर्जाने की मांग की है और उस पर हमेशा के लिए किसी भी प्रतिद्वंद्वी कंपनी में काम करने पर रोक लगाने की भी अपील की है। यह मामला हमें याद दिलाता है कि टेक्नोलॉजी की इस जंग में, असली लड़ाई सिर्फ बाजार में नहीं, बल्कि कंपनियों के बंद दरवाजों के पीछे भी लड़ी जाती है।
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