Hindu festival : रक्षाबंधन दो हजार पच्चीस की सटीक तारीख और भद्राकाल का महत्व
- by Archana
- 2025-08-03 13:43:00
Newsindia live,Digital Desk: Hindu festival : रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम का एक पवित्र त्यौहार है। वर्ष दो हजार पच्चीस में इस पवित्र पर्व की सही तारीख और शुभ मुहूर्त को लेकर थोड़ी दुविधा बन गई है। कुछ लोग आठ अगस्त की बात कर रहे हैं तो कुछ नौ अगस्त की। ऐसे में यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि राखी बांधने के लिए सबसे शुभ और सटीक समय कौन सा होगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राखी बांधते समय भद्राकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्राकाल को राखी बांधने के लिए बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल में राहु का प्रभाव रहता है। यह भी कहा जाता है कि लंका के राजा रावण की बहन ने भी उसे भद्राकाल में ही राखी बांधी थी जिसके परिणामस्वरूप उसका सर्वनाश हो गया था। यही वजह है कि इस अशुभ समय में राखी बांधने से हमेशा बचने की सलाह दी जाती है।
वर्ष दो हजार पच्चीस में श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि गुरुवार आठ अगस्त को शाम पांच बजकर उनहत्तर मिनट से शुरू होगी। यह पूर्णिमा अगले दिन शुक्रवार नौ अगस्त को दोपहर तीन बजकर एक्यावन मिनट तक बनी रहेगी। चूंकि राखी हमेशा पूर्णिमा तिथि में ही बांधी जाती है, इसलिए इन्हीं दो दिनों में शुभ समय चुनना होगा।
राखी बांधने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त आठ अगस्त की रात को भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होगा। आठ अगस्त को भद्राकाल सुबह पांच बजकर तैंतालीस मिनट से शुरू होकर शाम पांच बजकर छियासठ मिनट तक चलेगा। ऐसे में शुभ मुहूर्त आठ अगस्त को शाम पांच बजकर छियासठ मिनट के बाद ही शुरू हो पाएगा।
हालांकि, जो लोग आठ अगस्त की रात को राखी नहीं बांध पाएंगे, उनके लिए अगला विकल्प नौ अगस्त को पूर्णिमा तिथि समाप्त होने तक का रहेगा। नौ अगस्त को सुबह सूर्योदय के साथ से लेकर दोपहर तीन बजकर इक्यावन मिनट तक का समय राखी बांधने के लिए उपयुक्त रहेगा। यह त्यौहार भाई बहन के अटूट रिश्ते, प्यार और एक दूसरे की रक्षा के संकल्प का प्रतीक है। शुभ मुहूर्त में राखी बांधना इस पवित्र बंधन को और भी मजबूत करता है और भाई की लंबी उम्र व खुशहाली की कामना के साथ बहनों द्वारा किया जाने वाला यह कार्य फलदायी माना जाता है।
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