Hindu Festival : दुर्गा विसर्जन 2025 की सही तारीख और शुभ समय आ गया, ऐसे करें माँ को विदा ताकि वो जल्दी आएं
News India Live, Digital Desk: Hindu Festival : पूरा नौ दिन मां दुर्गा की भक्ति में डूबने के बाद, आखिर वह समय आ जाता है जब हम नम आंखों से उन्हें विदा करते हैं. यह परंपरा है दुर्गा विसर्जन की, जो शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन मनाई जाती है, जिसे विजयदशमी या दशहरा भी कहते हैं. साल 2025 में यह पावन दिन कब पड़ रहा है, और कैसे हमें मां को सही विधि-विधान से विदा करना चाहिए ताकि वे अगले साल फिर आएं, आइए जानते हैं सारी बातें.
कब है दुर्गा विसर्जन 2025? (तिथि और शुभ मुहूर्त)
शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन किया जाता है. साल 2025 में दुर्गा विसर्जन 06 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रहा है. इसी दिन देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक, दशहरा भी मनाया जाता है.
- दशमी तिथि की शुरुआत: 06 अक्टूबर, 2025 को सुबह 04 बजकर 37 मिनट से.
- दशमी तिथि का समापन: 07 अक्टूबर, 2025 को सुबह 01 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.
दुर्गा विसर्जन के लिए कुछ खास शुभ मुहूर्त बताए गए हैं, जिनमें मां को विदा करना सबसे अच्छा माना जाता है:
- सुबह का शुभ मुहूर्त: 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक.
- दोपहर का शुभ मुहूर्त: 06 अक्टूबर को दोपहर 11 बजकर 24 मिनट से दोपहर 01 बजकर 03 मिनट तक.
- विजय मुहूर्त: 06 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से दोपहर 03 बजकर 14 मिनट तक.
दुर्गा विसर्जन की पूजा विधि (ऐसे करें मां को विदा):
दुर्गा विसर्जन एक बहुत ही भावुक और महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है. इस दिन भक्त मां से अपने घर को फिर से आने का अनुरोध करते हुए उन्हें विदा करते हैं.
- संकल्प लें: सबसे पहले शुभ मुहूर्त में स्नान करें और मां की चौकी के सामने बैठ कर हाथ में जल और चावल लेकर पूजा और विसर्जन का संकल्प लें.
- भोग और सिंदूर: माता रानी को श्रद्धापूर्वक मिठाई, पुष्प, पान-सुपारी और सबसे अहम, सिंदूर चढ़ाएं. विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाती हैं, जिसे सिंदूर खेला कहा जाता है.
- आरती और विदाई के गीत: मां की आरती करें और उनसे पूजा के दौरान हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा मांगें. इस दौरान महिलाएं विदाई के गीत गाती हैं, जो मां के आगमन से लेकर उनकी विदाई तक के भाव को दर्शाते हैं.
- प्रतिमा का विसर्जन: अब शुभ मुहूर्त देखकर, विधि-विधान के साथ माता रानी की प्रतिमा या जो भी आपने घट स्थापित किया है, उसे किसी पवित्र नदी या जलाशय में प्रवाहित करें.
- पुनः आगमन की कामना: विसर्जन से पहले मन ही मन मां से प्रार्थना करें और "अगले साल फिर आना" का निवेदन करें.
इस तरह भक्तिभाव से मां दुर्गा को विदा करने से वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं.
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