हेल्थ टिप्स: गेहूं, ज्वार या बाजरा? जानें मानसून में किस अनाज की रोटी खाना है फायदेमंद
स्वास्थ्य सुझाव: मानसून की शुरुआत होते ही शरीर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। मानसून में वातावरण में नमी बढ़ जाती है जिससे खाना जल्दी खराब हो जाता है और पेट संबंधी समस्याएं भी इस समय ज्यादा देखने को मिलती हैं। इसलिए मानसून में खाने-पीने का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। जिसमें रोजाना खाई जाने वाली रोटी भी सोच-समझकर खानी चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो मानसून में हमें हल्का और आसानी से पचने वाला आहार खाना चाहिए।
मानसून के दौरान बाजरा, मक्का, रागी जैसे अनाज के आटे से बनी रोटियाँ खाने से बचना चाहिए। क्योंकि ये जल्दी पचते नहीं हैं और पेट में गैस और भारीपन पैदा कर सकते हैं। इन अनाज के आटे की बजाय, मानसून में गेहूँ, ज्वार और चने के आटे का ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। ज्वार में फाइबर और मिनरल्स होते हैं और चने के आटे में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है। यह आटा मानसून के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है।
कुछ लोग गेहूं के आटे में ओट्स पाउडर, सोयाबीन पाउडर, अलसी पाउडर या सत्तू मिलाकर भी रोटी बनाते हैं। इस तरह से बनी रोटी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ शरीर के लिए भी स्वास्थ्यवर्धक होती है। गेहूं के आटे में इन चीजों का पाउडर मिलाने से रोटी पौष्टिकता से भरपूर हो जाती है।
मानसून में ऐसी रोटी खाने से पाचन तंत्र भी बेहतर होता है। हालाँकि, आहार विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि मानसून में बासी खाना खाने से बचना चाहिए। खाना हमेशा ताज़ा खाना चाहिए। साथ ही, खाने में देसी घी डालकर पाचन क्रिया को बेहतर बनाना चाहिए। रोटी में भी घी डालकर खाना चाहिए, जिससे रोटी का स्वाद भी बढ़ता है और उसे पचाना भी आसान हो जाता है।
--Advertisement--