Health News : दिमाग पर साइलेंट किलर बन रही है शराब ,छोटी-सी मात्रा भी बना सकती है बीमार, क्या अब भी पीते रहेंगे आप?
News India Live, Digital Desk: शराब पीने वाले अक्सर खुद को तसल्ली देते हैं कि "थोड़ी-सी पीने से क्या फर्क पड़ता है", लेकिन अब एक नई रिसर्च ने इस सोच पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है. एक ताज़ा स्टडी के मुताबिक, शराब पीने की कोई भी 'सुरक्षित सीमा' नहीं है, यहाँ तक कि बहुत कम मात्रा में भी शराब का सेवन हमारे दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है. यह उन लाखों लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है जो सोचते हैं कि संयमित (moderate) शराब पीना हानिरहित है.
कम शराब भी दिमाग के लिए खतरा?
शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में पाया है कि भले ही कोई व्यक्ति कम मात्रा में शराब का सेवन करता हो, तो भी यह उसके दिमाग की सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकता है. इसमें दिमाग की बनावट (brain structure) और उसके कार्य (brain function) पर असर शामिल है. मुख्य तौर पर:
- दिमाग के वॉल्यूम पर असर: शोध से पता चला है कि कम मात्रा में शराब पीने वालों के दिमाग के ग्रे मैटर (Grey Matter) और व्हाइट मैटर (White Matter) के वॉल्यूम में कमी आ सकती है, जो संज्ञानात्मक क्षमताओं (Cognitive abilities) जैसे याददाश्त, सीखने और निर्णय लेने के लिए ज़रूरी हैं.
- कॉग्निटिव फंक्शन में गिरावट: समय के साथ यह दिमाग के काम करने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे याददाश्त कमजोर होना और सोचने-समझने की शक्ति पर असर पड़ सकता है.
- डिमेंशिया का खतरा: भले ही छोटे स्तर पर ही क्यों न हो, लंबे समय तक शराब का सेवन, दिमाग को तेज़ी से बूढ़ा कर सकता है और डिमेंशिया (Dementia) जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है.
तो 'सुरक्षित सीमा' का क्या मतलब?
यह रिसर्च सीधे तौर पर इस आम धारणा को चुनौती देती है कि शराब की एक या दो ड्रिंक रोज़ पीना सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं है. इस अध्ययन में साफ़ तौर पर कहा गया है कि अल्कोहल का कोई भी स्तर दिमाग के लिए 'सुरक्षित' नहीं है. यह हमें अल्कोहल के सेवन पर दोबारा सोचने और स्वास्थ्य के प्रति ज़्यादा जागरूक होने का मौका देता है.
इससे पहले भी कई अध्ययनों में अल्कोहल को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा गया है, जैसे लिवर डैमेज, हृदय रोग और कैंसर. लेकिन इस नई रिसर्च ने अब सीधे दिमाग पर पड़ने वाले उसके असर को और भी ज़्यादा साफ कर दिया है. अब समय आ गया है कि हम अपनी पीने की आदतों पर गंभीर रूप से विचार करें, क्योंकि दिमाग हमारे शरीर का सबसे ज़रूरी अंग है, और इसकी सेहत से कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
--Advertisement--