क्या अमेरिका के लिए भस्मासुर बन गए हैं ट्रंप? भारत ही नहीं, अमेरिकियों को भी होगा बड़ा नुकसान, जानें क्या पड़ेगा महंगा

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भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में अचानक खटास आ गई है। अमेरिका ने 1 अगस्त, 2025 से भारत से आने वाले सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इस फैसले का असर न सिर्फ़ भारतीय कंपनियों पर पड़ेगा, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत से अमेरिका जाने वाले उत्पाद अब महंगे हो जाएँगे। 

भारत अमेरिका को कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, दवा, मशीनरी, रसायन, जैविक उत्पाद, ऑटो पार्ट्स, इस्पात और प्लास्टिक के सामान सहित कई प्रकार की वस्तुओं का निर्यात करता है। अमेरिका में इनकी खपत बहुत अधिक है और भारत इस मांग को पूरा करने वाला एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। 

इन उत्पादों पर असर बढ़ेगा।
25 प्रतिशत टैरिफ का मतलब है कि जो सामान पहले अमेरिका 100 रुपये में पहुँचता था, अब उसकी कीमत 25 रुपये ज़्यादा होगी। इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा। लागत बढ़ने पर कंपनियाँ इस बढ़ी हुई लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डालेंगी। इससे अमेरिकी बाज़ार में भारतीय सामान और महंगा हो जाएगा। भारतीय कंपनियों का कारोबार भी प्रभावित हो सकता है। क्योंकि उत्पाद महंगे होने से माँग घट सकती है। 


भारत से अमेरिका को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ हीरे, कीमती पत्थर, धातुएँ और सिक्के हैं, इसके बाद विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आते हैं, जिनका अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्योग में बड़े पैमाने पर उपयोग होता है 

फार्मास्युटिकल उत्पाद, यानी दवाइयाँ, तीसरे नंबर पर हैं। यह भारत के सबसे मज़बूत उद्योगों में से एक है। इसके अलावा, पेट्रोलियम से जुड़ी चीज़ें जैसे खनिज ईंधन, तेल और आसवन उत्पाद भी भारत से बड़े पैमाने पर अमेरिका जाते हैं। 

भारत अमेरिका को मशीनरी, परमाणु रिएक्टर और बॉयलर भी निर्यात करता है, जिनका उपयोग अमेरिकी औद्योगिक क्षेत्र में होता है। इसके अलावा, लोहा और इस्पात उत्पाद, जैसे पाइप, प्लेट और संरचनात्मक वस्तुएँ भी प्रमुख निर्यातों में से हैं। 

पुराने या घिसे हुए कपड़े, रेडीमेड गारमेंट्स और अन्य टेक्सटाइल उत्पाद भी भारत से अमेरिका जाते हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर की बात करें तो भारत, रेल और ट्राम को छोड़कर सभी वाहनों का निर्यात अमेरिका को करता है। इसके अलावा, ऑर्गेनिक केमिकल्स और बिना बुने या बिना क्रोशेट वाले कपड़े भी भारत से बड़ी मात्रा में अमेरिका जाते हैं। ये सभी उत्पाद भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और अमेरिका में इनकी भारी मांग है। 

भारत की चुनौतियाँ और उम्मीदें:
इन टैरिफ से भारतीय निर्यात को काफ़ी नुकसान हो सकता है। ख़ासकर उन कंपनियों को जो पूरी तरह अमेरिकी बाज़ार पर निर्भर हैं। लेकिन सरकार अमेरिका के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिश कर रही है। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत जारी है और उम्मीद है कि ये टैरिफ अस्थायी होंगे। 

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