'अपने समुदाय का कर्ज चुकाना है'... पढ़ी-लिखी डॉक्टर कैसे बनी आतंक की 'मैडम सर्जन'? 6 शहरों को दहलाने का था प्लान

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एक पढ़ी-लिखी, 43 साल की डॉक्टर... जिसका काम था लोगों की जान बचाना, लेकिन अब उस पर आरोप है देश के 6 शहरों में तबाही मचाने की साजिश रचने का। नाम है डॉ. शाहीन शाहिद, जिसे जांच एजेंसियां अब आतंक की 'मैडम सर्जन' कह रही हैं।

दिल्ली में 10 नवंबर को हुए एक कार ब्लास्ट की जांच करते-करते जब एजेंसियां शाहीन तक पहुंचीं, तो उनके हाथ एक ऐसी खौफनाक साजिश का पता चला, जो पिछले एक साल से तैयार की जा रही थी। इस साजिश के तार सीधे पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ रहे हैं।

क्या था 'D-6 मिशन' का खौफनाक प्लान?

फरीदाबाद से गिरफ्तार हुई डॉ. शाहीन के पास से जो डायरियां, डिजिटल फाइलें और नोट्स मिले हैं, उन्होंने जांच एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। इन दस्तावेजों में एक मिशन का जिक्र है, जिसका कोडनेम था 'D-6 मिशन'

  • D-6 का मतलब: इसका मतलब था 6 दिसंबर। आतंकी गुट इस तारीख को 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस का 'बदला' लेने के लिए देश के 6 बड़े शहरों में एक साथ धमाके करना चाहता था।
  • क्या-क्या मिला सबूतों में? शाहीन की डायरी में सिर्फ तारीख ही नहीं, बल्कि टारगेट शहरों के नाम, नए लड़के-लड़कियों को कैसे भर्ती करना है, पैसा कहाँ से आएगा, और आपस में कैसे छिपकर बात करनी है, इन सब का पूरा कच्चा-चिट्ठा मिला है।

अकेले नहीं थी शाहीन, पूरा नेटवर्क था तैयार

जांच में पता चला है कि शाहीन इस खेल में अकेली नहीं थी। उसके साथ दो और कश्मीरी डॉक्टर – डॉ. मुजम्मिल अहमद गनई और डॉ. उमर उन नबी – भी इस नेटवर्क का हिस्सा थे।

जांच में यह भी सामने आया है कि इस पूरे खूनी खेल के लिए पाकिस्तान से ₹20 लाख हवाला के जरिए भेजे गए थे। इन पैसों का इस्तेमाल नए लोगों को संगठन से जोड़ने, छिपने के लिए ठिकाने बनाने, फोन खरीदने और टारगेट वाली जगहों की रेकी करने के लिए किया जाना था। अब एजेंसियां शाहीन के 7 बैंक खातों की भी जांच कर रही हैं।

एक शांत डॉक्टर से 'मैडम सर्जन' बनने की कहानी

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि एक पढ़ी-लिखी डॉक्टर इस रास्ते पर कैसे चली गई?

शाहीन कानपुर के एक मेडिकल कॉलेज में काम करती थी। वहां के लोग उसे एक शांत और अपनी निजी जिंदगी की परेशानियों से जूझती महिला के तौर पर याद करते हैं। लेकिन 2010 के आसपास उसकी जिंदगी में एक मोड़ आया, जब वह एक विदेशी डॉक्टर के संपर्क में आई। वह डॉक्टर उसे कट्टरपंथी विचारधारा वाले वीडियो भेजने लगा।

धीरे-धीरे शाहीन का ब्रेनवॉश होता गया, और 2021 तक वह पूरी तरह से बदल चुकी थी। जब उसके एक रिश्तेदार ने उससे पूछा कि वह अपनी नौकरी, शादी और जिम्मेदारियां क्यों छोड़ रही है, तो उसने एक चौंकाने वाला जवाब दिया:

"मैं अपने लिए बहुत जी चुकी हूं। अब अपने समुदाय का कर्ज चुकाने का समय है।"

जांच में पता चला है कि मार्च 2022 में यह पूरी टीम तुर्की गई थी, जहां उन्होंने ISI के हैंडलर अबू उकाशा से मुलाकात की। एजेंसियों का मानना है कि इसी मीटिंग में उन्हें 'D-6 मिशन' को अंजाम देने के लिए हरी झंडी मिली थी।

यह मामला दिखाता है कि कैसे पढ़े-लिखे और प्रोफेशनल लोग भी आतंक के जाल में फंस सकते हैं, जो देश के लिए एक नया और बड़ा खतरा है।

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