पटना की दीवारों ने खोले राज़ क्या नीतीश के बाद अब बेटे निशांत का दौर शुरू होने वाला है
News India Live, Digital Desk : बिहार की राजनीति और 'चमत्कार' का पुराना रिश्ता है। यहाँ कब क्या हो जाए, बड़े-बड़े पंडित भी नहीं बता पाते। हम सब जानते हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) हमेशा से ही 'परिवारवाद' (Nepotism) के सख्त खिलाफ रहे हैं। वो अक्सर लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस पर अपने परिवार को आगे बढ़ाने का तंज कसते रहते हैं। लेकिन आज जो नज़ारा पटना में जेडीयू (JD-U) कार्यालय के बाहर दिखा, उसने इन सारी बातों पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
अचानक चर्चा में आए 'निशांत कुमार'
पटना में पार्टी ऑफिस के बाहर कुछ ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, जिसने सबका ध्यान खींचा है। इन पोस्टरों में सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार (Nishant Kumar) की तस्वीर है और साफ़ तौर पर यह मांग की गई है कि अब उन्हें पार्टी की कमान दी जाए। पोस्टर लगाने वालों ने कोई ढकी-छुपी बात नहीं की, उन्होंने साफ़ लिखा है कि "निशांत को लाओ, जेडीयू बचाओ" या उन्हें युवा नेतृत्व सौंपने की बात कही है।
क्यों अहम है यह घटना?
देखिए, निशांत कुमार आम नेताओं के बच्चों की तरह नहीं हैं। आज तक उन्हें कभी मंच पर भाषण देते या रैलियों में घूमते नहीं देखा गया। वो एक इंजीनियर हैं और आध्यात्म (Spirituality) में ज्यादा यकीन रखते हैं। वे हमेशा राजनीति की चकाचौंध से कोसों दूर रहे। ऐसे में अचानक उनका पोस्टर लगना कोई छोटी बात नहीं है।
कार्यकर्ताओं की मांग या सोची-समझी रणनीति?
राजनीति के जानकारों के मन में दो सवाल चल रहे हैं:
- कार्यकर्ताओं का मोहभंग: क्या पार्टी के कार्यकर्ता अब नीतीश कुमार के बाद किसी ऐसे चेहरे को तलाश रहे हैं जो युवा हो और जिसे लोग भरोसेमंद मान सकें? क्या उन्हें लगता है कि आरजेडी के तेजस्वी यादव को टक्कर देने के लिए जेडीयू को भी एक 'युवा चेहरा' चाहिए?
- पॉलिटिकल टेस्टिंग: कई बार राजनीति में माहौल भांपने के लिए भी ऐसे पोस्टर लगवाए जाते हैं। यह देखने के लिए कि अगर निशांत को आगे लाया जाए, तो जनता और पार्टी का रिएक्शन कैसा होगा।
विपक्ष को मिल गया मसाला
जाहिर है, इस पोस्टर बाजी से विपक्षी पार्टियों को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया है। जो नीतीश कुमार कल तक दूसरों को 'परिवारवादी' कहते थे, अगर उनका बेटा राजनीति में आता है, तो विरोधियों के तीर और तीखे होंगे। हालांकि, अभी तक न तो नीतीश कुमार और न ही निशांत की तरफ से कोई बयान आया है।
भविष्य की तस्वीर धुंधली
फिलहाल ये कहना जल्दबाजी होगी कि निशांत कुमार राजनीति में आ रहे हैं, लेकिन धुंआ उठा है तो आग कहीं न कहीं ज़रूर लगी होगी। पटना की सड़कों पर लगे ये पोस्टर सिर्फ कागज के टुकड़े नहीं हैं, बल्कि बिहार के आने वाले भविष्य का एक इशारा हो सकते हैं। क्या एक इंजीनियर सच में 'सुशासन बाबू' की विरासत संभालेगा? यह तो वक्त ही बताएगा।
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