Hariyali Amavasya 2025: महादेव की कृपा और पितरों के आशीर्वाद के लिए विशेष दिन जानें महत्व
News India Live, Digital Desk: Hariyali Amavasya 2025: सावन मास में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है और इसका हिंदू धर्म में बड़ा ही विशेष महत्व है। यह दिन न केवल भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है, बल्कि इसे पितरों की आत्मा की शांति और प्रकृति के सम्मान का भी पवित्र पर्व माना जाता है। चूंकि यह अमावस्या सावन के महीने में पड़ती है जब चारों ओर हरियाली छाई रहती है, इसलिए इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं, और इस दिन वृक्षारोपण का विशेष पुण्य लाभ मिलता है।
मान्यता है कि हरियाली अमावस्या पर पितृ तर्पण और दान-पुण्य करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। इस दिन नदियों में पवित्र स्नान करने की भी परंपरा है, जिसे पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति का साधन माना जाता है। अगर नदी में स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है।
इस शुभ दिन पर, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। साथ ही, पीपल और बरगद जैसे पवित्र वृक्षों की पूजा करना और नए पेड़ लगाना भी अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है, क्योंकि इन्हें देवताओं का वास और पितरों को शांति प्रदान करने वाला समझा जाता है। इससे पितृ दोष समाप्त होते हैं और जीवन में तरक्की के नए रास्ते खुलते हैं।
हरियाली अमावस्या के अवसर पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना भी बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। इससे न केवल आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है बल्कि शनि देव की भी कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के कई कष्ट दूर होते हैं। वहीं, इस दिन नए या बड़े काम शुरू करने और अनावश्यक यात्राओं से बचने की सलाह दी जाती है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
संक्षेप में, हरियाली अमावस्या का पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने, पूर्वजों का सम्मान करने और शिव-पार्वती की कृपा पाने का सुनहरा अवसर देता है। यह दिन शुभ योगों से परिपूर्ण होता है जो शांति, समृद्धि और संतोष प्रदान करने में सहायक होते हैं।
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