Hariyali Amavasya 2025: पितृ दोष से मुक्ति और 7 वें तीर्थ के लिए समृद्धि का पर्व
News India Live, Digital Desk: Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या का हिंदू धर्म में अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण स्थान है। यह दिन न केवल भगवान शिव की विशेष पूजा और सावन मास की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी इसे बेहद शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है कि हरियाली अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए कुछ विशेष अनुष्ठान करने से पितृ दोष समाप्त हो जाता है और सात पीढ़ियों तक घर में धन, समृद्धि तथा सुख-शांति बनी रहती है।
क्या होता है पितृ दोष और इसके लक्षण?
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, जब व्यक्ति अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पर्याप्त तर्पण, श्राद्ध या पूजा-पाठ नहीं करता, अथवा माता-पिता और बड़ों का अनादर करता है, तो उसके परिवार पर पितृ दोष लग सकता है। इस दोष के प्रभाव से परिवार को अनेक प्रकार की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं, जैसे कि विवाह और संतान संबंधी समस्याओं में रुकावट, लगातार आर्थिक संकट और धन हानि, घर में कलह-क्लेश, व्यापार या करियर में बार-बार बाधाएं, या स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियां। इन सभी लक्षणों को पितृ दोष से जोड़ा जाता है।
नंदीमुख श्राद्ध और इसका महत्व:
इन कष्टों से मुक्ति पाने और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए हरियाली अमावस्या पर नंदीमुख श्राद्ध करने का विशेष विधान है। इस दिन तड़के उठकर पवित्र नदियों में स्नान करने या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करने की परंपरा है। इसके बाद, सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस पवित्र दिन पर विशेष रूप से पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितृ अत्यंत प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
इस दिन किसी अनुभवी पंडित या ब्राह्मण से पितरों की शांति के लिए नंदीमुख श्राद्ध अनुष्ठान विधिपूर्वक संपन्न करवाना चाहिए। इस दौरान पितरों को उनके मनपसंद भोजन और मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त, पितरों के निमित्त वस्त्र और धन का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गाय को घास खिलाने और गरीब तथा जरूरतमंद लोगों की सहायता करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।
खास बात यह है कि हरियाली अमावस्या पर शिवलिंग पर गंगाजल, दूध और बिल्वपत्र चढ़ाना भी बहुत कल्याणकारी माना गया है। भगवान शिव की कृपा से भी पितृ दोष कम होता है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पितृ श्राद्ध संबंधी यह कर्म केवल पुरुष सदस्यों द्वारा ही किए जाते हैं। नंदीमुख श्राद्ध का यह विधि-विधान एक ही बार करने से व्यक्ति को अपने पितृ दोष से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है और उसके साथ-साथ उसकी आने वाली सात पीढ़ियां भी धन-संपदा और सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहती हैं। यह दिन परिवार में खुशहाली और निरंतर उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है
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