गुरु नानक जयंती 2025: जानिए तारीख और गुरु जी की वो शिक्षाएं जो आज भी ज़िंदगी को आसान बनाती
गुरु पर्व का दिन… हवा में घुली गुरबानी की मीठी धुन, लंगर में एक साथ बैठकर प्रसाद चखते लोग, और मन में शांति का एहसास। यह त्योहार सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्म का उत्सव है, जिन्होंने दुनिया को एक सरल और सच्चा रास्ता दिखाया।
इस साल गुरु नानक जयंती 5 नवंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह दिन कार्तिक महीने की पूर्णिमा को आता है। यह सिर्फ एक छुट्टी या त्योहार नहीं, बल्कि गुरु नानक देव जी की उन बातों को याद करने और अपनी ज़िंदगी में उतारने का दिन है, जिन्होंने लाखों लोगों को जीने की सही राह दिखाई।
क्या है सिख धर्म का मूल मंत्र?
गुरु नानक देव जी ने एक बहुत ही सरल और गहरी बात सिखाई, जो "इक ओंकार" के मूल मंत्र में समाई हुई है। यह मंत्र हर सिख प्रार्थना का आधार है। आइए इसका आसान मतलब समझते हैं:
“इक ओंकार सतिनाम करता पुरख निर्भउ निरवैर अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि”॥
इसका सरल शब्दों में अर्थ है:
- ईश्वर एक है। उसका नाम ही सच है।
- वही इस दुनिया को बनाने वाला है।
- उसे किसी का डर नहीं (निर्भय), और उसकी किसी से दुश्मनी नहीं (निर् वैर)।
- वह समय और मृत्यु से परे है, वह जन्म नहीं लेता।
- उसे किसी ने नहीं बनाया, वह खुद से है।
- और ऐसे गुरु को सिर्फ़ सच्ची कृपा से ही जाना जा सकता है।
यह मंत्र हमें सिखाता है कि हम सब उसी एक ईश्वर की संतान हैं, इसलिए डर, नफ़रत और भेदभाव की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
गुरु नानक देव जी के 3 सुनहरे नियम, जो ज़िंदगी बदल सकते हैं
गुरु नानक देव जी की सारी शिक्षाएं तीन सरल नियमों में समा जाती हैं, जो आज के समय में भी उतनी ही सच्ची हैं:
1. किरत करो (ईमानदारी से कमाओ):
मेहनत और ईमानदारी से अपनी रोजी-रोटी कमाओ। कभी किसी का हक़ मत मारो और न ही धोखा-धड़ी का रास्ता अपनाओ। सच्ची कमाई में ही बरकत है।
2. नाम जपो (उस एक को याद करो):
दिनभर की भागदौड़ में कुछ पल उस ईश्वर को याद करने के लिए ज़रूर निकालो, जिसने तुम्हें यह जीवन दिया है। ध्यान या प्रार्थना करने से मन को शांति मिलती है।
3. वंड छको (मिल-बाँटकर खाओ):
जो कुछ भी आपने मेहनत से कमाया है, उसे अकेले मत खाओ। उसमें से कुछ हिस्सा ज़रूरतमंदों के साथ बाँटो। लंगर की प्रथा इसी महान सोच का प्रतीक है, जहाँ कोई भी भूखा नहीं सोता।
गुरु नानक देव जी ने हमेशा कहा कि ईश्वर मंदिरों या मस्जिदों की दीवारों में नहीं, बल्कि हर इंसान के दिल में बसता है। उन्होंने जात-पात, ऊँच-नीच के भेदभाव को खत्म करने और एक सादा, सच्चा और सेवा भरा जीवन जीने का संदेश दिया।
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