Guidelines : अब पुलिस अधिकारी नहीं मिल पाएंगे सीधे पार्टियों के वकीलों से UP पुलिस बना रही है खास दिशानिर्देश
News India Live, Digital Desk: उत्तर प्रदेश में पुलिस कामकाज में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। अब जल्द ही ऐसे दिशानिर्देश जारी होने वाले हैं जिनके लागू होने के बाद पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी, आपराधिक मामलों में संबंधित पार्टियों के वकीलों से सीधे तौर पर मुलाकात नहीं कर पाएंगे। यह कदम कानूनी प्रक्रियाओं में अनुचित हस्तक्षेप को रोकने और न्याय व्यवस्था की अखंडता बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
डीजीपी मुख्यालय स्तर पर इस संबंध में व्यापक गाइडलाइंस तैयार की जा रही हैं। यह पहल विशेष रूप से उन संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों को ध्यान में रखकर की गई है जिनमें बाहरी हस्तक्षेप या मिलीभगत की आशंका रहती है। इस नियम का मकसद पुलिस और वकीलों के बीच की उन गोपनीय बैठकों और व्यक्तिगत संपर्कों को रोकना है, जिससे केस की जांच प्रभावित होने या किसी पक्ष को अनुचित लाभ मिलने की संभावना हो सकती है।
हालांकि, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि पुलिस अधिकारियों और वकीलों के बीच किसी भी प्रकार का संवाद नहीं होगा। आवश्यक और कानूनी रूप से मान्य संचार के लिए एक तय प्रक्रिया बनाई जाएगी। उदाहरण के लिए, जब पुलिस को किसी वकील को पूछताछ के लिए बुलाना हो या किसी डॉक्यूमेंट के सत्यापन की आवश्यकता हो, तो ऐसे में उन्हें केवल 'लिखित नोटिस' के माध्यम से ही सूचित किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि हर संवाद पारदर्शी और रिकॉर्डेड हो।
ये नए दिशानिर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे जो विवेचना (जांच) के अधीन हैं या जिन पर कानूनी कार्यवाही चल रही है। इसका प्रभाव ज़मीनी स्तर से लेकर वरिष्ठ स्तर तक के सभी पुलिसकर्मियों पर पड़ेगा। यह बदलाव सुनिश्चित करेगा कि जांच अधिकारी बाहरी दबाव या निजी प्रभावों से मुक्त होकर पूरी ईमानदारी से काम कर सकें। इस कदम से पुलिस के ऊपर से उठने वाले पक्षपात और मिलीभगत के आरोपों पर भी लगाम लग सकेगी। उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस मुख्यालय का यह निर्णय कानून-व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ तथा विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है।
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