Government Jobs : राजस्थान SI भर्ती विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती

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News India Live, Digital Desk: राजस्थान की 2021 की सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती को लेकर चल रहा विवाद अब देश की सबसे बड़ी अदालत, यानी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने राजस्थान हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें भर्ती को रद्द करने के आदेश पर रोक लगा दी गई थी। इस नई याचिका के बाद, अब इस भर्ती का भविष्य पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिक गया है।

मामला आखिर है क्या?

चलिए, इस पूरे विवाद को आसान भाषा में समझते हैं।

  1. पेपर लीक के आरोप: सबसे पहले, 2021 में हुई इस SI भर्ती परीक्षा में बड़े स्तर पर पेपर लीक और धांधली के आरोप लगे।कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
  2. एकलपीठ ने भर्ती रद्द की: इन आरोपों पर लंबी सुनवाई के बाद, राजस्थान हाई कोर्ट की सिंगल बेंच (एक जज की बेंच) ने 28 अगस्त को पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही रद्द करने का आदेश दे दिया।
  3. डिवीजन बेंच ने रोक लगाई: सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ, जो उम्मीदवार परीक्षा में पास हो गए थे, वे हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच (दो जजों की बेंच) में गए। डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी, जिससे रद्द हुई भर्ती एक बार फिर से बहाल हो गई।
  4. अब मामला सुप्रीम कोर्ट में: अब, जो मूल याचिकाकर्ता सिंगल बेंच में केस जीते थे, उन्होंने डिवीजन बेंच के इस रोक वाले फैसले को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट में फैसला क्यों लड़ा जा रहा है?

याचिकाकर्ताओं ने डिवीजन बेंच के फैसले को मुख्य रूप से चार वजहों से गलत बताया है:

  • उनका कहना है कि डिवीजन बेंच ने यह कहकर गलती की कि सिंगल बेंच का फैसला एक अप्रमाणित रिपोर्ट पर आधारित था। याचिकाकर्ता कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि सोर्स बताना जरूरी नहीं है।
  • डिवीजन बेंच ने ट्रेनी सब-इंस्पेक्टर्स को फील्ड ट्रेनिंग की इजाजत दे दी है, जबकि पहले इसी पर रोक लगाई गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि दागी अधिकारियों को ट्रेनिंग पर भेजना सही नहीं है।
  • सिंगल बेंच ने RPSC के काम करने के तरीके पर जो जांच शुरू की थी, डिवीजन बेंच के आदेश से उस पर भी रोक लग गई है।
  • याचिका में कहा गया है कि डिवीजन बेंच के फैसले से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है, इसलिए जब तक अंतिम फैसला न आ जाए, भर्ती प्रक्रिया और ट्रेनिंग पर रोक लगनी चाहिए।

दूसरी तरफ, जो उम्मीदवार इस भर्ती में चुने गए हैं, उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट उनका पक्ष सुने बिना इस मामले में कोई एकतरफा आदेश जारी नहीं करेगा। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस उलझे हुए मामले पर क्या फैसला सुनाता है।

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