आज से घर-घर में विराजेंगी ज्ञान की देवी, इन 4 दिनों में बस इस विधि से करें सरस्वती पूजा, मिलेगी सफलता

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शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व अब अपने अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच चुका है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा के बाद, आज सप्तमी तिथि से अगले चार दिनों के लिए हमारे घरों और पूजा पंडालों में ज्ञान, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती की उपासना का विशेष समय शुरू हो गया है।

यह वो समय है जब हम माँ दुर्गा से शक्ति और माँ सरस्वती से विद्या का वरदान मांगते हैं, क्योंकि शक्ति बिना विद्या के अधूरी है और विद्या बिना शक्ति के कमजोर। खासकर विद्यार्थियों और कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह चार दिन किसी उत्सव से कम नहीं हैं।

जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और सरल विधि

पूजा के मुख्य दिन:
यह पूजा नवरात्रि की सप्तमी तिथि से शुरू होकर विजयादशमी तक चलती है।

  • सप्तमी तिथि: 27 सितंबर 2025
  • अष्टमी तिथि: 28 सितंबर 2025
  • महानवमी: 29 सितंबर 2025
  • विजयादशमी: 30 सितंबर 2025

पूजा का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time):
ज्योतिषियों के अनुसार, सरस्वती पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 27 सितंबर को सुबह 6:28 से शुरू होकर सुबह 10:49 तक है। आप इस मुहूर्त में पूजा की स्थापना कर सकते हैं और फिर अगले चार दिनों तक नियमित पूजा कर सकते हैं।

घर पर कैसे करें सरल सरस्वती पूजा (Puja Vidhi):

आपको किसी बड़े पंडित या बहुत सारी सामग्रियों की जरूरत नहीं है। माँ सरस्वती तो भाव की भूखी हैं। आप इन आसान तरीकों से उनकी कृपा पा सकते हैं:

  1. स्थापना: अपने पूजा घर या बच्चे की स्टडी टेबल पर एक साफ चौकी पर पीला या सफेद कपड़ा बिछाएं। उस पर माँ सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  2. पुस्तकें और कलम रखें: माँ सरस्वती के चरणों में अपने बच्चों की किताबें, अपनी कोई प्रिय पुस्तक, कलम, दवात या अगर आप संगीतकार हैं तो अपना वाद्य यंत्र जरूर रखें। यह ‘पुस्तक पूजा’ का सबसे अहम हिस्सा है।
  3. पूजन सामग्री: माँ को सफेद या पीले रंग के फूल (विशेषकर गेंदा) बहुत प्रिय हैं। उन्हें फूल अर्पित करें। फल, मिठाई (बेसन के लड्डू या कोई सफेद मिठाई) का भोग लगाएं।
  4. मंत्र जाप: पूजा करते समय माँ सरस्वती के सरल मंत्र "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" का 108 बार जाप करें। यह मंत्र मन को शांत करता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
  5. आरती: पूरे परिवार के साथ मिलकर माँ सरस्वती की आरती गाएं और उनसे बुद्धि, विद्या और सफलता का आशीर्वाद मांगें।

यह पूजा सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि अपने जीवन से अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश लाने का एक संकल्प है। इन चार दिनों में की गई उपासना आपके और आपके बच्चों के जीवन में सफलता के नए द्वार खोल सकती है।

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