Foreign Ministry Denies: निमिषा प्रिया को रिहाई के दावे गैर पुष्टिशुदा आधिकारिक जानकारी का इंतज़ार
News India Live, Digital Desk: केरल की नर्स निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन में मौत की सज़ा सुनाई गई है, से जुड़ी एक ख़बर ने मंगलवार को ज़ोर पकड़ा, जब यमन के ग्रांड मुफ्ती ने कथित तौर पर यह घोषणा की कि खून के पैसे दीया स्वीकार कर लिए गए हैं और उनकी रिहाई की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय MEA से जुड़े सूत्रों ने इन दावों को तुरंत ख़ारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, उन्हें यमन सरकार या वहां की न्यायिक प्रणाली से इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि या औपचारिक अनुरोध नहीं मिला है। MEA सूत्रों का कहना है कि खून के पैसे की प्रक्रिया काफी जटिल होती है, जिसमें न केवल पीड़ित परिवार को अपनी सहमति देनी होती है, बल्कि इसे यमनी न्यायालय के माध्यम से प्रमाणित भी किया जाना चाहिए, और इस पूरी प्रक्रिया में भारत सरकार को भी शामिल किया जाना अनिवार्य है। जब तक ये औपचारिकताएं पूरी नहीं हो जातीं, कोई भी दावा अनाधिकारिक माना जाएगा।
फिलहाल, निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को यमन की सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि जब तक पीड़ित का परिवार भारत आकर खून के पैसे संबंधी मसलों को औपचारिक रूप से सुलझाता नहीं है और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो जातीं, तब तक कोई नई जानकारी नहीं दी जा सकती। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ग्रांड मुफ्ती की टिप्पणी भले ही मीडिया में आई हो, लेकिन भारत को यमनी अदालतों या सरकारी चैनलों से इस संबंध में कोई आधिकारिक निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।
यह मामला साल 2017 का है जब निमिषा प्रिया को यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया था। आरोप था कि निमिषा ने यौन उत्पीड़न के डर से तलाल को नशीला पदार्थ दिया और फिर उसकी हत्या कर दी और शरीर को ठिकाने लगाने की कोशिश की। निमिषा ने अपने बचाव में दावा किया था कि तलाल उसका लगातार उत्पीड़न कर रहा था।
हाल ही में, निमिषा की मां और बेटी ने तलाल के परिवार से मुलाकात की थी, और कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि खून के पैसे पर कुछ हद तक समझौता हो सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उस संभावित समझौते ने यमनी न्याय प्रणाली में किस हद तक प्रगति की है। भारत का जोर इस बात पर है कि यमन के कानूनी ढांचे और अंतरराष्ट्रीय राजनयिक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ही आगे बढ़ा जाए ताकि निमिषा के मामले का कोई स्थायी और वैध समाधान निकल सके।
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