Fatty liver is a Big Risk: एम्स दिल्ली के डॉ. गर्ग ने चेताया लंबे समय में बढ़ सकता है कैंसर का जोखिम
News India Live, Digital Desk: Fatty liver is a Big Risk: मोटापे डायबिटीज हाई ब्लड प्रेशर और जीवनशैली से जुड़ी अन्य बीमारियों के साथ-साथ आजकल फ़ैटी लिवर रोग भी भारतीय आबादी में तेजी से बढ़ रहा एक बड़ा स्वास्थ्य संकट है। एक चौंकाने वाले खुलासे में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान AIIMS दिल्ली के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार गर्ग ने आगाह किया है कि फ़ैटी लिवर रोग, विशेषकर लंबे समय में, विभिन्न प्रकार के कैंसर के जोखिम को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा सकता है।
डॉ. गर्ग ने बताया कि भारत में अनुमानित 25 से 30 प्रतिशत आबादी इस जीवनशैली से जुड़ी बीमारी से जूझ रही है, और यह चिंताजनक बात है कि अब यह समस्या बच्चों में भी आम होती जा रही है। शुरुआती चरणों में इस बीमारी के कोई खास लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, जिसके कारण इसका पता अक्सर देर से चलता है। कुछ सामान्य लक्षणों में लगातार थकान और पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में हल्का या सुस्त दर्द महसूस होना शामिल हो सकता है, लेकिन ये लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
ग़ैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग NAFLD की जांच लिवर फंक्शन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और फ़ाइब्रोस्कैन जैसी विधियों के माध्यम से की जाती है। डॉ. गर्ग ने बताया कि यह स्थिति समय के साथ गंभीर रूप ले सकती है और सिरोसिस (लिवर में गंभीर scarring या लिवर कैंसर हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा में बदल सकती है, जो घातक परिणाम देते हैं। लेकिन लिवर से जुड़ी समस्याओं के अलावा, फ़ैटी लिवर शरीर के कई अन्य अंगों में भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। अध्ययन बताते हैं कि इसका संबंध भोजन नली पेट , स्तन प्रोस्टेट अग्न्याशय और थायरॉइड ग्रंथियों के कैंसर से भी हो सकता है।
एम्स के विशेषज्ञ के अनुसार, अस्पताल में आने वाले लिवर कैंसर के लगभग 40 प्रतिशत रोगियों को पहले से फ़ैटी लिवर की समस्या होती है, जबकि पित्ताशय के कैंसर के लगभग 60-70 प्रतिशत रोगी भी फ़ैटी लिवर से ग्रस्त पाए जाते हैं।
डॉ. गर्ग ने ज़ोर देकर कहा कि शुरुआती चरण में फ़ैटी लिवर रोग का कोई विशेष चिकित्सीय उपचार नहीं है। इसे मुख्य रूप से जीवनशैली में बदलाव करके नियंत्रित और ठीक किया जा सकता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है वजन कम करना, एक संतुलित और स्वस्थ आहार अपनाना, नियमित व्यायाम करना और शराब के सेवन को पूरी तरह से बंद या सीमित करना। इन निवारक उपायों को अपनाकर व्यक्ति न केवल अपने लिवर को बचा सकता है, बल्कि कई तरह के कैंसर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं के जोखिम को भी कम कर सकता है। यह बीमारी, जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है, अब एक व्यापक स्वास्थ्य खतरे के रूप में उभर रही है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
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