जीवन की हर उलझन होगी दूर गीता जयंती पर कर लें ये छोटा सा काम, श्रीकृष्ण खुद दिखाएंगे रास्ता
News India Live, Digital Desk: जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हमें समझ नहीं आता कि आगे क्या करें। दिमाग में हजारों सवाल होते हैं, लेकिन जवाब एक भी नहीं। करियर हो, रिश्ते हों या फिर मन की शांति इंसान अक्सर अर्जुन की तरह कुरुक्षेत्र में खड़ा खुद को अकेला पाता है।
अगर आप भी ऐसे ही किसी द्वंद्व (Confusion) से गुजर रहे हैं, तो खुश हो जाइए। समाधान का दिन आ गया है। हम बात कर रहे हैं Gita Jayanti 2025 की। यह वो दिन है जब हजारों साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मोह के अंधेरे से निकालकर कर्म की रोशनी दिखाई थी।
चलिए, आज आपको बताते हैं कि इस साल यह खास दिन कब है और आप इसका फायदा अपनी जिंदगी संवारने में कैसे उठा सकते हैं।
कब मनाई जाएगी गीता जयंती?
दोस्तों, हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। इसे मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं। इस साल 2025 में, यह पावन अवसर 30 नवंबर (आज) / या दिसंबर की शुरुआत (तिधि अनुसार) में पड़ रहा है।
माना जाता है कि यही वो घड़ी थी जब भगवान के मुख से गीता के श्लोक निकले थे। इसलिए, इस दिन गीता को सिर्फ पढ़ना नहीं चाहिए, बल्कि उसे महसूस करना चाहिए।
जीवन में क्लेरिटी (Clarity) के लिए क्या करें?
अक्सर हम फैसले लेने में घबराते हैं। 'क्या सही है, क्या गलत'—इसी उधेड़बुन में समय निकल जाता है। गीता जयंती के दिन कुछ खास उपाय करके आप अपने दिमाग को शांत और फोकस कर सकते हैं:
- गीता का पाठ करें: जरूरी नहीं कि आप पूरी 700 श्लोक पढ़ें। अगर समय कम है, तो कम से कम 11वें अध्याय या फिर 12वें और 15वें अध्याय का पाठ जरूर करें। इसे सुनने मात्र से ही मन का बोझ हल्का हो जाता है।
- शंखनाद करें: पूजा के समय शंख जरूर बजाएं। शंख की आवाज को विजय का प्रतीक माना जाता है। यह आपके घर से नेगेटिविटी को दूर करके पॉजिटिव एनर्जी भर देगी।
- तुलसी पूजन: भगवान विष्णु और कृष्ण को तुलसी बेहद प्रिय है। इस दिन तुलसी की माला से 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। अपने घर के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं। गीता की पुस्तक को भी एक आसन पर रखकर उसकी पूजा करें, उस पर फूल और चंदन चढ़ाएं।
ज्योतिषियों का मानना है कि इस दिन किया गया दान और पूजा सीधे मोक्ष का द्वार खोलती है। अगर आपके घर में कोई क्लेश है या बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा, तो गीता जयंती के दिन उन्हें गीता भेंट करना बहुत शुभ माना जाता है।
अंतिम सीख
याद रखिए, गीता सिर्फ हिंदुओं का धर्मग्रंथ नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवजाति के लिए 'जीवन जीने का मैनुअल' है। भगवान कृष्ण ने कहा था "कर्म करो, फल की चिंता मत करो।" आज के दौर में स्ट्रेस फ्री रहने का यही सबसे बड़ा मंत्र है।
तो इस गीता जयंती पर, अपनी अलमारी से उस पवित्र किताब को निकालिए, उस पर जमी धूल झाड़िए और अपने मन के दर्पण को भी साफ कीजिए। जय श्रीकृष्ण!
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