भारत में 45 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हर पांचवें व्यक्ति को है डायबिटीज़: Lancet
भारत में 2019 में लगभग हर पांचवे व्यक्ति (45 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के) को डायबिटीज थी। यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या अब तेजी से बढ़ रही है और लगभग 5 करोड़ से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। यह जानकारी एक बड़े पैमाने पर किए गए राष्ट्रीय अध्ययन, Longitudinal Aging Study in India (LASI) के आंकड़ों पर आधारित है, जिसे The Lancet Global Health में प्रकाशित किया गया है।
यह अध्ययन 2017 से 2019 के बीच लगभग 60,000 वयस्कों पर किया गया, जिसमें पाया गया कि पुरुषों और महिलाओं में डायबिटीज़ की समान दर है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में यह ग्रामीण इलाकों की तुलना में दोगुनी पाई गई। आर्थिक रूप से अधिक विकसित राज्यों में डायबिटीज़ का प्रचलन और भी अधिक है, जहाँ लगभग एक तिहाई या उससे अधिक लोगों को यह समस्या है।
दिलचस्प बात यह है कि डायबिटीज़ से पीड़ित लगभग 40% लोग अपनी स्थिति से अनजान हैं, यानी उन्हें पता तक नहीं कि वे डायबिटीज के शिकार हैं। जिन लोगों को डायबिटीज़ का पता है, उनमें से करीब 46% ने अपने ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रण में रखा है। इसके अलावा लगभग 60% लोग अपने रक्तचाप को नियंत्रित कर पा रहे हैं, जबकि केवल 6-7% लोग हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए लिपिड-लोअरिंग दवाओं का सेवन कर रहे हैं।
यह अध्ययन इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि भारत में मधुमेह की समस्या में भविष्य में और वृद्धि हो सकती है क्योंकि देश की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, और मध्यम आयु वर्ग तथा बुजुर्गों में यह स्थिति और गंभीर होती जा रही है।
डायबिटीज़ के संकट से निपटने के लिए आवश्यक कदम
जन-जागरूकता बढ़ाना: लोगों को अपने स्वास्थ्य की जांच नियमित रूप से करानी चाहिए, खासकर 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को।
समय रहते निदान: अवगत होने पर उपचार प्रारंभ करना और जीवनशैली में सुधार लाना जरूरी है।
स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: बेहतर स्क्रीनींग, उपचार और देखभाल की सुविधाएं अधिक उपलब्ध कराना होगा।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, धूम्रपान व शराब से बचाव और तनाव प्रबंधन।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में समान ध्यान: क्योंकि शहरी क्षेत्रों में मधुमेह का प्रसार अधिक है, यहां विशेष प्रयास जरूरी हैं।
प्रभाव और चिंता
यह अध्ययन संकेत देता है कि भारत में मधुमेह के मामले न केवल संख्या में बढ़ रहे हैं, बल्कि इसकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए अभी व्यापक प्रयासों की कमी है। मधुमेह के कारण हृदय रोग, किडनी रोग और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ती हैं, इसलिए समय से पहल न होने पर स्वास्थ्य संकट और बढ़ेगा।
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