End of Kaliyuga Predictions : वो 12 सूरज जो जलाकर खाक कर देंगे पूरी सृष्टि, जानिए महाविनाश के दूसरे चरण की कहानी

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News India Live, Digital Desk : हम अक्सर बातों-बातों में कह देते हैं कि "कलयुग चल रहा है, अभी तो बहुत पाप बढ़ेगा और फिर अंत होगा।" लेकिन क्या आपने कभी शांत दिमाग से सोचा है कि आखिर वह 'अंत' होगा कैसा? हमारे धर्म ग्रंथों और पुराणों में सृष्टि के विनाश या 'प्रलय' का जो खाका खींचा गया है, उसे पढ़ने के बाद किसी भी इंसान की रूह कांप सकती है।

आज हम आपको एक ऐसी भविष्यवाणी के बारे में बताने जा रहे हैं जो पुराणों में दर्ज है—कलयुग की आखिरी रात और महाविनाश के उस भयानक दौर की कहानी।

आसमान में 12 सूरज? (The Mystery of 12 Suns)

हम आज की गर्मी से ही परेशान हो जाते हैं जब तापमान 45-50 डिग्री पहुंचता है। लेकिन जरा कल्पना कीजिए उस दिन की, जब आसमान में एक नहीं, बल्कि 12 सूरज (12 Suns) एक साथ चमकेंगे! जी हाँ, 'विष्णु पुराण' और 'महाभारत' जैसी किताबों में जिक्र है कि प्रलय के समय आसमान में एक साथ 12 सूर्य दिखाई देंगे।

इसे महाविनाश का दूसरा चरण माना गया है। सोचिए, एक सूरज की गर्मी हम झेल नहीं पाते, तो 12 सूरज मिलकर धरती का क्या हाल करेंगे? कहते हैं कि उनकी गर्मी इतनी भयानक होगी कि पूरी पृथ्वी जलकर तांबे की तरह लाल हो जाएगी।

कलयुग की आखिरी रात: क्या-क्या होगा?

शास्त्रों के मुताबिक, कलयुग के खत्म होने के संकेत बहुत पहले मिलने लगेंगे। सबसे पहले धरती पर लगातार 100 सालों तक सूखा (Drought) पड़ेगा। न बारिश होगी, न पानी बचेगा। पेड़-पौधे, नदियां और तालाब सब सूख जाएंगे। भूख और प्यास से ही आधे से ज्यादा जीवन समाप्त हो जाएगा।

इसके बाद, भगवान सूर्य अपनी रश्मियों (किरणों) से समुद्र का सारा पानी सोख लेंगे। जो सात समुद्र आज अथाह लगते हैं, वो पूरी तरह सूख जाएंगे। इसके बाद पाताल लोक (जमीन के नीचे) का पानी भी सूख जाएगा और धरती बंजर और वीरान हो जाएगी।

सब कुछ भस्म हो जाएगा (The Great Fire)

पुराणों की मानें तो 12 सूर्यों की तपिश के बाद, भगवान विष्णु के मुख से 'संंवर्तक' (Samvartaka) नाम की एक भयानक आग (Fire) उत्पन्न होगी। यह आग हवा के साथ मिलकर तीनों लोकों (स्वर्ग, धरती और पाताल) को जलाकर राख कर देगी।

कहते हैं कि यह प्रलयकाल का वो समय होगा जब कोई तकनीक, कोई विज्ञान काम नहीं आएगा। सिर्फ़ राख और धुआं बचेगा। लेकिन, डरिये मत! हमारे धर्मग्रंथों में विनाश को 'अंत' नहीं बल्कि 'नयी शुरुआत' माना गया है।

फिर जीवन की शुरुआत (Creation begins again)

विनाश की इस भयानक आग के बाद आसमान में हाथियों की सूंड (Elephant Trunk) के बराबर मोटे बादल छाएंगे। लगातार बारिश होगी, इतनी बारिश कि पूरी पृथ्वी फिर से जलमग्न हो जाएगी और यह भीषण आग शांत होगी। तब एक लंबे समय तक सब कुछ शांत रहेगा और फिर ब्रह्मा जी की नींद टूटेगी, जिससे 'सतयुग' की नई सृष्टि की शुरुआत होगी।

फिलहाल, कलयुग का अंत अभी बहुत दूर है। हमारे पास अभी बहुत वक़्त है अच्छे कर्म करने और इस धरती को रहने लायक बनाए रखने के लिए। पुराणों की ये बातें हमें डराने के लिए नहीं, बल्कि समय और प्रकृति की ताकत का अहसास दिलाने के लिए हैं।

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