अमेरिका में नौकरी का सपना होगा चकनाचूर? ट्रंप ने H-1B वीज़ा पर चली ऐसी चाल, सुनकर उड़ जाएँगे होश!

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जो भी भारतीय अमेरिका जाकर आईटी सेक्टर में काम करने और अच्छी ज़िंदगी जीने का सपना देखते हैं, उनके लिए एक चिंता बढ़ाने वाली ख़बर आ रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा बयान दिया है, जिससे भारतीय पेशेवरों, ख़ासकर आईटी एक्सपर्ट्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

ट्रंप ने कहा है कि अगर वो दोबारा सत्ता में आते हैं, तो H-1B वीज़ा के नियमों को बहुत ज़्यादा सख़्त कर देंगे।

क्या है ट्रंप का नया प्लान?

ट्रंप का प्लान H-1B वीज़ा की फ़ीस में भारी बढ़ोतरी करना है। ख़बरों के मुताबिक, वो इस फ़ीस को बढ़ाकर एक लाख रुपये से भी ज़्यादा कर सकते हैं। अभी यह फ़ीस काफ़ी कम है। अगर ऐसा होता है, तो अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत या किसी दूसरे देश से कर्मचारी को नौकरी पर बुलाना बहुत महँगा हो जाएगा।

इसका सबसे ज़्यादा असर भारतीयों पर क्यों पड़ेगा?

H-1B वीज़ा एक नॉन-इमिग्रेंट वीज़ा है, जो अमेरिकी कंपनियों को दूसरे देशों के स्किल्ड कर्मचारियों को नौकरी पर रखने की इजाज़त देता है।

  • इसका सबसे ज़्यादा फ़ायदा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को मिलता है। हर साल जारी होने वाले कुल H-1B वीज़ा में से लगभग 70-75% वीज़ा भारतीयों को ही मिलते हैं।
  • गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़ॅन जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियाँ इसी वीज़ा के ज़रिए भारत के टैलेंटेड युवाओं को नौकरी पर रखती हैं।
  • अगर वीज़ा की फ़ीस बढ़ाई जाती है, तो कंपनियाँ विदेशी कर्मचारियों को काम पर रखने से बचेंगी, जिसका सीधा असर भारत से जाने वाले लोगों पर पड़ेगा और उनके लिए मौक़े कम हो जाएँगे।

ट्रंप ऐसा क्यों करना चाहते हैं?

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से "अमेरिका फ़र्स्ट" (America First) की नीति के समर्थक रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिकी कंपनियों को सबसे पहले अमेरिकी नागरिकों को ही नौकरी देनी चाहिए। वीज़ा महँगा करके वो कंपनियों पर स्थानीय लोगों को काम पर रखने के लिए दबाव बनाना चाहते हैं।

हालांकि, यह अभी सिर्फ़ एक चुनावी बयान है, लेकिन अगर ट्रंप सत्ता में वापसी करते हैं तो यह भारतीय युवाओं के 'अमेरिकन ड्रीम' के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

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