हरियाणा में डॉक्टरों की हड़ताल: सरकार ने लगाई धारा 144, जानें क्यों सड़कों पर उतरे 3000 डॉक्टर्स
चंडीगढ़: हरियाणा की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं क्योंकि राज्य के 3,000 से ज्यादा सरकारी डॉक्टरों ने सोमवार से दो दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार उनकी सालों पुरानी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है, जिसके चलते उन्हें यह बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है। इस बीच, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कई जिलों के सरकारी अस्पतालों के 200 मीटर के दायरे में 8 और 9 दिसंबर के लिए निषेधाज्ञा (धारा 144 जैसे नियम) लागू कर दी है, जिसके तहत पांच या उससे ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है।
क्यों हड़ताल पर हैं डॉक्टर? ये हैं 3 मुख्य मांगें
डॉक्टरों की नाराजगी तीन प्रमुख मांगों को लेकर है, जिन्हें वे अपने करियर और सम्मान के लिए जरूरी बता रहे हैं:
- स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का अलग कैडर: डॉक्टरों की मांग है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों (Specialist Doctors) के लिए एक अलग कैडर बनाया जाए, ताकि उनकी पहचान और प्रमोशन की प्रक्रिया बेहतर हो सके।
- प्रमोशन से ही बनें SMO: डॉक्टरों का कहना है कि सीनियर मेडिकल ऑफिसर (SMO) के पदों पर सीधी भर्ती बंद की जाए और इन पदों को केवल अनुभवी डॉक्टरों के प्रमोशन से ही भरा जाए। उनका आरोप है कि सीधी भर्ती से 95% डॉक्टर अपने पूरे करियर में सिर्फ एक प्रमोशन (मेडिकल ऑफिसर से SMO) लेकर ही रिटायर हो जाते हैं।
- केंद्र जैसी ACP स्कीम: डॉक्टर चाहते हैं कि हरियाणा में भी केंद्र सरकार के अस्पतालों और बिहार जैसे राज्यों की तरह डायनेमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (ACP) स्कीम लागू की जाए।[2] इस स्कीम के तहत डॉक्टरों को 4, 9, 13 और 20 साल की सर्विस पर तय प्रमोशन मिलता है, जबकि हरियाणा में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
सरकार का क्या है कहना और क्या हैं इंतजाम?
सरकार ने हड़ताल को देखते हुए किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं चालू रखने के लिए आकस्मिक व्यवस्था की गई है ताकि मरीजों को परेशानी न हो। हालांकि, हड़ताल के पहले दिन कई अस्पतालों की ओपीडी सेवाओं पर असर देखने को मिला, जहां मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक का कहना है कि वे डॉक्टरों से बातचीत के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या बातचीत से निकलेगा हल?
हालांकि, हड़ताल का पहला दिन गुरुग्राम के सिविल अस्पताल जैसे कुछ स्थानों पर शांतिपूर्ण रहा और ओपीडी पर ज्यादा असर नहीं दिखा, लेकिन डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो यह हड़ताल लंबी भी खिंच सकती है। उनका कहना है कि सरकार एक-दो दिन तो जैसे-तैसे काम चला लेगी, लेकिन लंबी हड़ताल की स्थिति में सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाएगा। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMSA) के अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया के अनुसार, सरकार के साथ बातचीत अब तक बेनतीजा रही है, खासकर एसीपी स्कीम की मांग पर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
यह हड़ताल राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, जिसका सीधा असर उन हजारों मरीजों पर पड़ रहा है जो इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं। अब देखना यह होगा कि क्या सरकार और डॉक्टरों के बीच बातचीत से कोई रास्ता निकलता है या यह संकट और गहराता है।
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