इस साल मीठी होगी दिवाली? चीनी का रकबा बढ़ा, पर हल्दी के वायदा बाजार में क्यों मचा है बवाल?

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त्योहारों का मौसम आते ही दो चीजों की बात सबसे ज्यादा होती है - मीठा और मसाले। हमारी रसोई की इन दो सबसे जरूरी चीजों, यानी चीनी और हल्दी को लेकर बाजार से दो बड़ी और अलग-अलग खबरें सामने आ रही हैं। एक खबर जहां राहत देने वाली है, वहीं दूसरी थोड़ी चिंता बढ़ाने वाली है।

खुशखबरी: इस साल चीनी की मिठास कम नहीं होगी!

सबसे पहले अच्छी खबर की बात करते हैं। देश में इस साल गन्ने की बुवाई का रकबा, यानी जितने क्षेत्र में गन्ने की फसल लगाई गई है, उसमें 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आसान भाषा में इसका मतलब यह है कि इस साल गन्ने की पैदावार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा होने की उम्मीद है।

जब पैदावार ज्यादा होती है, तो बाजार में चीनी की सप्लाई भी अच्छी रहती है। इससे चीनी की कीमतों के बहुत ज्यादा बढ़ने की आशंका कम हो जाती है। तो, आप यह उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले त्योहारी सीजन में आपकी चाय और मिठाइयों की मिठास फीकी नहीं पड़ेगी और कीमतें भी नियंत्रण में रह सकती हैं। किसानों के लिए भी यह एक अच्छी खबर है क्योंकि ज्यादा रकबे का मतलब है ज्यादा फसल और बेहतर आमदनी की उम्मीद।

चिंता: हल्दी के वायदा बाजार में 'खराब माल' का विरोध

अब बात करते हैं मसालों की रानी, हल्दी की। यहां मामला थोड़ा गड़बड़ है। हल्दी के वाय-दा बाजार (Futures Market), जहां आने वाले समय के लिए हल्दी का सौदा होता है, वहां "खराब क्वालिटी" की हल्दी को लेकर ट्रेडर्स और किसानों में भारी नाराजगी है।

यह वायदा बाजार का क्या मामला है?
वायदा बाजार एक ऐसी जगह है जहां किसान अपनी फसल को एक तय कीमत पर भविष्य में बेचने का सौदा करते हैं। इससे उन्हें कीमतों के उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिल जाती है।

लेकिन, अब आरोप लग रहे हैं कि इस बाजार में जो हल्दी डिलीवर की जा रही है, उसकी क्वालिटी बहुत ही घटिया है। जब खराब क्वालिटी का माल बाजार में आता है, तो अच्छी क्वालिटी वाली हल्दी की भी सही कीमत नहीं मिल पाती, जिससे उन किसानों को भारी नुकसान होता है जो मेहनत से अच्छी फसल उगाते हैं। इसी वजह से, अच्छी क्वालिटी की हल्दी को वायदा बाजार से बाहर रखा जा रहा है और ट्रेडर्स इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा, तो किसानों का वायदा बाजार से भरोसा उठ जाएगा।

तो, एक तरफ जहां चीनी को लेकर बाजार में optimism है, वहीं हल्दी की क्वालिटी को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई है, जिसका असर आने वाले दिनों में हल्दी की कीमतों पर भी देखने को मिल सकता है।

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