Diplomacy : टैरिफ विवाद के बीच अमेरिका-भारत संबंध, ट्रंप को निक्की हेली की रणनीतिक सलाह
- by Archana
- 2025-08-21 11:45:00
News India Live, Digital Desk: Diplomacy : भारतीय मूल की अमेरिकी राजनेता निक्की हेली ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से आग्रह किया है कि वे भारत को एक "अत्यंत मूल्यवान साझेदार" के रूप में देखें, खासकर मौजूदा टैरिफ विवाद के बीच. उनका यह बयान ट्रंप द्वारा अमेरिका और भारत के व्यापार संबंधों की लगातार आलोचना किए जाने के जवाब में आया है, जिसमें ट्रंप भारत पर "भारी टैरिफ" लगाने का आरोप लगाते रहे हैं.
हेली ने न्यूयॉर्क टाइम्स के एक ओप-एड में अपनी यह राय व्यक्त की है. उन्होंने लिखा है कि, "यह तर्क देना तथ्यात्मक रूप से गलत है कि भारत को चीन जैसे विरोधियों के साथ रखा जा सकता है, जिनके व्यापार पर लगाए गए 'बेशुमार' टैरिफ हमारे देशों को गरीब बनाने वाले होते हैं." उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत चीन से भिन्न है और उसकी लोकतांत्रिक पहचान और अमेरिका के साथ उसके बढ़ते रणनीतिक संबंधों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हेली ने ट्रंप को सलाह दी है कि भारत के साथ रणनीतिक भागीदारी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि भारत, रूस और चीन जैसी प्रतिद्वंद्वी शक्तियों के बीच एक मजबूत दीवार की तरह खड़ा हो सकता है, जिससे पश्चिमी देशों को सुरक्षा मिलेगी.
ट्रंप ने अपने बयानों में भारत पर उच्च शुल्क दरों का उपयोग करने का आरोप लगाया था, जिसे वे उचित नहीं मानते हैं. हालांकि, निक्की हेली, जो स्वयं भारतीय मूल की हैं, इस बात पर जोर दे रही हैं कि ट्रंप को भारत को 'प्राइज्ड पार्टनर' (अत्यंत मूल्यवान साझेदार) के तौर पर देखना चाहिए और यह याद रखना चाहिए कि यह भारत था जिसने चीन को आर्थिक सहायता स्वीकार करने से मना कर दिया और भारत ही एकमात्र देश है जिसने अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रूस पर अपनी निर्भरता को कम करने का प्रयास किया है.
हेली ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की उस नीति पर भी सवाल उठाए हैं जिसमें उन्हें लगता है कि बिडेन प्रशासन 'अमेरिका फर्स्ट' नीति से भटक गया है और रूस तथा चीन के खिलाफ पर्याप्त रूप से खड़े होने में विफल रहा है. उनकी टिप्पणियां ट्रंप के अगले संभावित राष्ट्रपति अभियान में विदेश नीति के दृष्टिकोण के लिए एक स्पष्ट सुझाव पेश करती हैं, और यह दर्शाती हैं कि अमेरिका के भीतर भारत की भू-राजनीतिक और आर्थिक क्षमता को कैसे देखा जाता है. यह दिखाता है कि भारत अब केवल एक व्यापारिक भागीदार नहीं है, बल्कि अमेरिका के लिए एक रणनीतिक और वैचारिक सहयोगी भी बन रहा है.
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