Dementia Signs : याददाश्त कमजोर होने पर भूल से भी ना करें ये 3 गलतियां, सीधा अल्जाइमर का खतरा
News India Live, Digital Desk: क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप चाबी कहीं रखकर भूल गए हों, या किसी से मिलकर तुरंत उसका नाम याद न आ रहा हो? ऐसा सबके साथ कभी न कभी होता है. लेकिन अगर यह अक्सर होने लगे, तो क्या यह सिर्फ़ उम्र का असर है, या किसी और बड़ी समस्या का संकेत? आज हम एक बहुत ही गंभीर विषय पर बात करने वाले हैं, जो सीधे हमारे दिमाग़ और याददाश्त से जुड़ा है.
अगर आप भी करते हैं बार-बार चीज़ें भूलने की 'गंभीर' गलती, तो संभल जाएं! अल्जाइमर या डिमेंशिया के हो सकते हैं ये 3 'छिपे' लक्षण!
अक्सर हम छोटी-मोटी बातों को भूल जाने को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, यह सोचकर कि 'दिमाग़ काम का बोझ है' या 'अब उम्र हो रही है'. लेकिन यही बार-बार भूलने की आदत कभी-कभी एक बहुत गंभीर समस्या की शुरुआत हो सकती है, जिसे अल्जाइमर (Alzheimer's) या डिमेंशिया (Dementia) कहते हैं. यह बीमारियां दिमाग़ पर ऐसा असर डालती हैं कि व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त, सोचने-समझने की शक्ति और दैनिक कार्य करने की क्षमता खो देता है.
दुर्भाग्य से, डिमेंशिया या अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों का कोई इलाज नहीं है, लेकिन अगर इनके शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए, तो हम जीवन की गुणवत्ता को कुछ हद तक बेहतर बना सकते हैं.
तो आइए, जानते हैं उन 3 सबसे बड़े और 'छिपे' हुए लक्षणों को, जिन्हें बिलकुल भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए:
- रोज़मर्रा की चीज़ें भूल जाना या कार्यों को करने में दिक्कत:
- यह सिर्फ़ कभी-कभी नाम या पता भूलना नहीं है. बल्कि ये तब है जब व्यक्ति रोज़ के ज़रूरी काम, जैसे दवाई खाना भूल जाए, गैस पर दूध रखकर भूल जाए, या एटीएम का पिन कोड याद न आए.
- पहले जो काम आसानी से कर लेते थे, जैसे पसंदीदा डिश बनाना या कंप्यूटर चलाना, उन्हें करने में परेशानी महसूस होना. निर्देशों का पालन करने में मुश्किल होना भी इसका संकेत हो सकता है.
- बातचीत में दिक्कत और शब्दों का भूलना:
- बातचीत के दौरान सही शब्द याद न आना, या बातों को दोहराना, या बीच में ही भूल जाना कि क्या कह रहे थे.
- दूसरों की बातें समझने में दिक्कत होना, या आम चीज़ों के नाम भूल जाना (जैसे चम्मच को 'खाने वाली चीज़' कहना). यह सब भी एक संकेत हो सकता है.
- व्यक्तित्व या व्यवहार में बदलाव और भटकाव:
- अचानक चिड़चिड़ापन, उदासीनता (apathetic होना), या गुस्सा आने लगना. पहले सामाजिक व्यक्ति रहे हों, लेकिन अब खुद को अलग-थलग महसूस करना.
- समय, स्थान या लोगों को लेकर भ्रमित रहना. जैसे, यह न समझ पाना कि दिन का कौन सा समय है, या किस जगह पर हैं. कभी-कभी रास्ता भटक जाना, भले ही वह जाना-पहचाना रास्ता क्यों न हो.
अगर आप या आपके आस-पास कोई व्यक्ति ऐसे लक्षण दिखा रहा है, तो उन्हें तुरंत किसी डॉक्टर (खासकर न्यूरोलॉजिस्ट) से दिखाना बहुत ज़रूरी है. इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करने से, हम स्थिति को बिगड़ने देते हैं. सही समय पर पहचान और विशेषज्ञ की सलाह से आप इस बीमारी के प्रभाव को कम कर सकते हैं और एक बेहतर जीवन जीने में मदद कर सकते हैं. याददाश्त का यह खेल बहुत नाज़ुक है, इसे गंभीरता से लें
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