Demand for Bhil Pradesh intensifies : सांसद राजकुमार रोत ने राजस्थान के 11 जिलों को मिलाकर नया राज्य बनाने का दिया प्रस्ताव
News India Live, Digital Desk: Demand for Bhil Pradesh intensifies : देश में छोटे राज्यों की मांगें एक बार फिर जोर पकड़ रही हैं, और इसी कड़ी में 'भील प्रदेश' के गठन का मुद्दा अब फिर से गरमा गया है। इस बार इस मांग को संसद के भीतर से ही उठाया जा रहा है, और इसका श्रेय जा रहा है बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के नवनिर्वाचित सांसद राजकुमार रोत को, जो 'भारत आदिवासी पार्टी' (BAP) से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सीधे एक पत्र सौंपकर राजस्थान के 11 जिलों को मिलाकर एक अलग 'भील प्रदेश' बनाने का प्रस्ताव रखा है।
सांसद राजकुमार रोत ने जिस नए राज्य 'भील प्रदेश' का प्रस्ताव दिया है, उसमें राजस्थान के 11 प्रमुख जिले शामिल होंगे: बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, उदयपुर, सिरोही, पाली, जालोर, बाड़मेर, जोधपुर और बूंदी। उनका तर्क है कि ये वे क्षेत्र हैं जहाँ आदिवासी जनसंख्या का बड़ा हिस्सा निवास करता है और जहां उन्हें विशेष पहचान, संस्कृति और बेहतर विकास की आवश्यकता है।
रोत ने इस बात पर जोर दिया है कि संविधान का अनुच्छेद-3 सरकार को राज्यों का पुनर्गठन करने की शक्ति देता है। उन्होंने अतीत के उदाहरण भी पेश किए हैं, जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड और तेलंगाना जैसे राज्यों का निर्माण। उनका मानना है कि जब इन राज्यों को जनजातीय बहुल क्षेत्रों की आवश्यकताओं और प्रशासनिक सुगमता के आधार पर बनाया जा सकता है, तो 'भील प्रदेश' का भी उसी आधार पर गठन होना चाहिए। उनका मानना है कि यह लंबे समय से शोषित और उपेक्षित रहे आदिवासी समुदाय को मुख्यधारा में लाने का एक तरीका है, और उनके लिए उचित विकास सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
भील प्रदेश की मांग दरअसल काफी पुरानी है, जो एक अलग आदिवासी क्षेत्र के लिए होती रही है। यह सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ सीमावर्ती आदिवासी बहुल इलाकों को भी इसमें शामिल करने की बात कही जाती रही है। हालांकि, मौजूदा प्रस्ताव सिर्फ राजस्थान के जिलों पर केंद्रित है। रोत ने यह मुद्दा एक ऐसे समय पर उठाया है जब संसद में नव-निर्वाचित सदस्य अपना शपथ ग्रहण कर रहे हैं और सत्र का आरंभ हो रहा है, जिससे इस मांग को तुरंत राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय क्या रुख अपनाता है और केंद्र सरकार का क्या जवाब होता है, यह देखना अहम होगा, लेकिन फिलहाल 'भील प्रदेश' की मांग ने सियासी हलचल तेज कर दी है।
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