Delhi Incident : देश में आवारा कुत्तों का आतंक कई जानें गईं सुप्रीम कोर्ट ने मांगी जवाबदेही

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News India Live, Digital Desk: Delhi Incident :  देश भर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और उनसे होने वाली मौतों पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर संज्ञान लिया है। यह संज्ञान हाल ही में दिल्ली में एक छह वर्षीय बच्ची की आवारा कुत्तों के हमले में दर्दनाक मौत के बाद लिया गया है। इस दुखद घटना ने एक बार फिर शहरी क्षेत्रों में कुत्तों के आतंक पर चिंता बढ़ा दी है। पिछले कुछ समय से मुंबई, गोरखपुर और बेंगलुरु जैसे शहरों से भी आवारा कुत्तों द्वारा बच्चों और वयस्कों पर जानलेवा हमलों की खबरें आ रही हैं।

यह पहला मौका नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर विषय पर गौर किया हो। सुप्रीम कोर्ट पहले से ही आवारा कुत्तों के हमलों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई कर रहा है और इसके लिए जस्टिस एस.के. कौल की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन किया था। इस समिति को कुत्तों के हमलों के कारण घायल हुए या मृत व्यक्तियों के पीड़ितों को मुआवजा तय करने का काम सौंपा गया था।

समिति ने एनिमल बर्थ कंट्रोल एबीसी कार्यक्रम की वकालत की है, जिसका उद्देश्य कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करना और यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी कुत्ते को अंधाधुंध तरीके से न मारा जाए। इसके बावजूद, लंबे समय से यह बहस जारी है कि क्या आक्रामक आवारा कुत्तों को मार दिया जाना चाहिए या उन्हें केवल नसबंदी और टीकाकरण करके ही नियंत्रित किया जा सकता है।

एक तरफ विभिन्न पशु कल्याण संगठन और कार्यकर्ता आवारा कुत्तों को मारने का पुरजोर विरोध करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर कई नगर निगमों और ग्राम पंचायतों को इस बढ़ती हुई समस्या से निपटने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सर्वोच्च न्यायालय ने लगातार स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों से कहा है कि वे आवारा पशुओं से संबंधित नियमों का ईमानदारी से पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि नसबंदी तथा टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावी ढंग से लागू हों।

सर्वोच्च न्यायालय का यह नवीनतम संज्ञान इस जटिल और संवेदनशील मुद्दे के तत्काल समाधान की आवश्यकता को दर्शाता है। विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए, जिन्हें इन हमलों का सबसे बड़ा खतरा होता है, एक प्रभावी और संतुलित नीति समय की मांग है।

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