दिल्ली सरकार ने बारापुला एलिवेटेड परियोजना की जांच के आदेश दिए: 175 करोड़ के भुगतान पर उठे सवाल
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने बारापुला एलिवेटेड रोड चरण-III परियोजना के निर्माण में कथित अनियमितताओं और ठेकेदार को किए गए ₹175 करोड़ के भुगतान की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने व्यय वित्त समिति (EFC) की बैठक में यह निर्देश जारी किए, जिसमें उन्होंने लोक निर्माण विभाग (PWD) की कथित उपेक्षा और परियोजना में लंबे समय से चल रही देरी पर चिंता जताई।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की कथित 'भ्रष्टाचार और लापरवाही' के कारण परियोजना को समय पर पूरा नहीं किया जा सका।उनका कहना है कि मूल रूप से अक्टूबर 2017 में पूरा होना वाला यह प्रोजेक्ट बार-बार टल गया और अंततः मध्यस्थता (arbitration) में चला गया।
विवाद का मूल कारण:
यह विवाद तब बढ़ा जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने मई 2023 में PWD को ब्याज और GST सहित ₹175 करोड़ का भुगतान करने का आदेश दिया। सरकार का कहना है कि यह भुगतान इसलिए करना पड़ा क्योंकि पिछली सरकार ने कंपनी को काम करने से रोका था। मुख्यमंत्री गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि ठेकेदार ने शुरुआत में मामले को ₹35 करोड़ में निपटाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन पिछली सरकार ने इस प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया, जिससे मामला अदालत तक पहुंचा और राशि बढ़ गई।
क्या बोले सरकारी अधिकारी:
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा, “यह पिछली AAP सरकार के तहत भ्रष्टाचार और लापरवाही का एक और उदाहरण है।”उन्होंने पिछली सरकार पर न तो समीक्षा याचिका (review petition) दायर करने और न ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आरोप लगाया। सरकार इस बात की भी जांच करेगी कि PWD अधिकारियों की इसमें कोई संलिप्तता तो नहीं थी।
परियोजना की वर्तमान स्थिति:
प्रारंभ में 30 महीने की समय-सीमा और ₹1,260.63 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ 2015 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अब 87% पूरा हो चुका है। हालांकि, परियोजना की कुल लागत बढ़कर ₹1,330 करोड़ होने का अनुमान है। दिल्ली सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹150 करोड़ आवंटित किए हैं, जिसमें से जून 2025 तक ₹86.43 करोड़ खर्च हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि आगामी पेड़ हटाने की अनुमति मिलने के बाद निर्माण कार्य तेजी पकड़ेगा और इसे समय पर पूरा किया जाएगा।
फिलहाल, एंटी-करप्शन ब्रांच (ACB) इस मामले की जांच करेगी कि भुगतान में किस प्रकार की अनियमितताएं बरती गईं और अधिकारियों की क्या भूमिका रही।
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