दिल्ली बनी टापू, सड़कें बनीं समंदर... यमुना के कहर से थम गई राजधानी
यमुना का पानी जब खतरे के निशान को पार कर दिल्ली की सड़कों पर आया, तो वह अपने साथ सिर्फ पानी नहीं, बल्कि शहर की रफ्तार पर ब्रेक लगाने वाली आफत भी लेकर आया। देश का दिल कही जाने वाली दिल्ली आज एक टापू में तब्दील हो गई है, जहाँ सड़कें दरिया बन चुकी हैं और लोग अपने ही शहर में फँसे हुए महसूस कर रहे हैं। यमुना के इस कहर ने राजधानी के ट्रैफिक सिस्टम और रेलवे नेटवर्क की कमर तोड़कर रख दी है।
सड़कों पर रेंगती जिंदगी, घंटों के जाम में फँसे लोग
दिल्ली की लाइफलाइन कही जाने वाली रिंग रोड हो या आईटीओ (ITO) का व्यस्त चौराहा, हर जगह पानी का साम्राज्य है। हालात इतने खराब हैं कि शहर की मुख्य सड़कों पर कई-कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। सुबह दफ्तर के लिए निकले लोग घंटों तक अपनी गाड़ियों में फँसे रहे। आलम यह था कि लोग एक रास्ते से बचकर दूसरे रास्ते पर जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हर तरफ पानी और जाम ने उनका रास्ता रोक रखा था। गाड़ियाँ तैरती हुई सी लग रही थीं और लोग जान हथेली पर रखकर पानी भरी सड़कों से निकलने को मजबूर थे।
ट्रेनों पर भी लगा 'यमुना ब्रेक', हज़ारों यात्री परेशान
सड़क के रास्ते ही नहीं, यमुना की बाढ़ ने दिल्ली के रेलवे नेटवर्क को भी ठप कर दिया है। पुराने यमुना पुल (लोहे का पुल) पर पानी का स्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुँच जाने के कारण रेलवे ने इस पुल से ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी है।
इसके चलते दर्जनों ट्रेनों को या तो रद्द कर दिया गया है या फिर उनके रास्ते बदल दिए गए हैं। इसका सीधा असर उन हज़ारों यात्रियों पर पड़ रहा है, जो अपने घरों को जाने के लिए या दिल्ली पहुँचने के लिए ट्रेन में सफर कर रहे थे। स्टेशनों पर अफरा-तफरी का माहौल है और लोग अपनी यात्रा को लेकर बेहद परेशान हैं।
यमुना के इस उफान ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्रकृति के आगे शहर का बड़े से बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर भी बौना साबित हो सकता है। फिलहाल दिल्लीवासी बस एक ही दुआ कर रहे हैं कि जल्द से जल्द पानी उतरे और उनकी जिंदगी वापस पटरी पर लौटे।
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