Debate on Operation Sindoor heats up in Parliament: संजीव सान्याल ने पीएम मोदी के विचारों का किया समर्थन

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News India Live, Digital Desk: जाने-माने अर्थशास्त्री और इतिहासकार संजीव सान्याल ने भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन और उसे नए सिरे से देखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने तर्क दिया है कि भारत का अधिकांश इतिहास औपनिवेशिक दृष्टिकोण से लिखा गया है, जिसने हमारी अपनी उपलब्धियों को कम करके आंका और विदेशी आक्रमणकारियों को अधिक महत्व दिया।

सान्याल ने विशेष रूप से चोल राजवंश और महान सम्राट राजेंद्र चोल का उदाहरण दिया, जिनकी विशाल समुद्री शक्ति और दक्षिण-पूर्व एशिया (जैसे मलेशिया और इंडोनेशिया पर विजय का उल्लेख हमारे इतिहास की किताबों में अक्सर दिल्ली सल्तनत और मुगलों के सैन्य कारनामों की तुलना में कम किया जाता है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विचार से मेल खाती है, जिसमें उन्होंने भारतीय दृष्टिकोण से इतिहास को समझने और प्रस्तुत करने की बात कही है।

सान्याल ने इस आम धारणा को भी चुनौती दी कि भारत 1200 वर्षों तक विदेशी शासन के अधीन रहा, यह तर्क देते हुए कि यह एक अति-सरलीकरण है जो भारतीय शासकों के महत्वपूर्ण योगदानों को अनदेखा करता है। उन्होंने यह भी कहा कि 'सपेरों और महाराजाओं के देश' वाली छवि एक औपनिवेशिक निर्माण है जिसे बदलना होगा।

अर्थशास्त्री का मानना है कि भारतीय इतिहास को अब 'भारतीय एजेंसी' के लेंस से देखा जाना चाहिए, न कि केवल यह कि हम पर क्या किया गया। यह भारतीय सभ्यता की समृद्ध विरासत और उपलब्धियों को उजागर करने के लिए आवश्यक है, ताकि हम अपने अतीत को सही मायने में समझ सकें और भविष्य के लिए प्रेरणा ले सकें।

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