David Filo : Story of two friends, कैसे गैराज से शुरू हुई Yahoo और फिर कैसे अर्श से फर्श पर आ गिरी

Post

Newsindia live,Digital Desk: एक समय था जब इंटरनेट का मतलब याहू हुआ करता था। गूगल या किसी अन्य सर्च इंजन के आने से बहुत पहले, याहू ने लोगों को इंटरनेट की दुनिया से जोड़ा। यह सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं, बल्कि एक वेब पोर्टल था जहां समाचार, ईमेल और कई अन्य सेवाएं मिलती थीं। लेकिन आज, यह कंपनी गुमनामी के अंधेरे में खो गई है। इसकी कहानी दो छात्रों के एक छोटे से आइडिया से शुरू होकर दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी बनने और फिर अपनी ही गलतियों से पतन की ओर जाने की एक दिलचस्प दास्तां है।

गैराज से हुई थी शुरुआत

याहू की कहानी 1994 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग छात्रों, जेरी यांग और डेविड फिलो से शुरू होती है। शुरुआत में उन्होंने इसे "जेरी एंड डेविड्स गाइड टू द वर्ल्ड वाइड वेब" नाम दिया था। यह वेबसाइटों की एक डायरेक्टरी थी जिसे उन्होंने अपने शौक के लिए बनाया था। जैसे-जैसे यह लोकप्रिय होता गया, उन्होंने इसका नाम बदलकर 'याहू' रख दिया और जल्द ही यह एक बड़े बिजनेस में तब्दील हो गया।

एक सुनहरा मौका जो गंवा दिया

याहू तेजी से बढ़ा और 90 के दशक के अंत तक इंटरनेट की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। लेकिन इसी सफलता के घमंड में याहू ने एक ऐसी गलती कर दी जिसने उसके पतन की नींव रखी। उस समय गूगल एक नई और छोटी कंपनी थी, जिसे उसके संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन सिर्फ 1 मिलियन डॉलर में याहू को बेचना चाहते थे। लेकिन याहू ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, यह सोचकर कि लोग सर्च इंजन के बजाय उसके वेब पोर्टल का उपयोग करना पसंद करेंगे। यह याहू के इतिहास का सबसे गलत फैसला साबित हुआ।

पतन की शुरुआत

समय के साथ, गूगल का सरल और प्रभावी सर्च इंजन लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय होता गया, जबकि याहू अपनी पुरानी सेवाओं में ही उलझा रहा। याहू ने बदलती तकनीक और उपयोगकर्ता की जरूरतों को समझने में देर कर दी। जहाँ गूगल लगातार इनोवेशन कर रहा था, वहीं याहू अपने गौरव में खोया रहा। धीरे-धीरे, लोगों ने याहू को छोड़कर गूगल को अपनाना शुरू कर दिया। बाद में याहू ने माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के अधिग्रहण प्रस्तावों को भी ठुकरा दिया और अंततः, जो कंपनी कभी 125 अरब डॉलर की हुआ करती थी, उसे वेरिज़ोन ने 2017 में सिर्फ 4.8 अरब डॉलर में खरीद लिया। इस तरह, एक शानदार सफर का दुखद अंत हो गया।

English Keywords

 

--Advertisement--

Tags:

डॉट-कॉम बबल Yahoo गूगल downfall of Yahoo लैरी पेज Tech company rise and fall सर्गेई ब्रिन Jerry Yang गंवाया मौका David Filo अधिग्रहण Search Engine web portal माइक्रोसॉफ्ट internet history वेरिज़ोन dot-com bubble व्यावसायिक विफलता Google कॉर्पोरेट इतिहास Larry Page सिलिकॉन वैली Sergey Brin स्टार्टअप missed opportunity टेक दिग्गज acquisition Microsoft इंटरनेट का प्रणेता रणनीतिक गलतियाँ Verizon व्यावसायिक निर्णय business failure corporate history नवाचार Silicon Valley प्रौद्योगिकी केस स्टडी Startup इंटरनेट खोज Tech giant याहू मेल internet pioneer याहू समाचार strategic mistakes डॉट-कॉम युग business decisions Innovation व्यापार का इतिहास Technology कॉर्पोरेट रणनीति case study प्रबंधन की विफलता internet search तकनीकी उद्योग Yahoo Mail वेब का इतिहास Yahoo News कॉर्पोरेट पतन dot-com era ऐतिहासिक तकनीक business history उद्यमिता Corporate strategy स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय management failure इंटरनेट बूम Tech Industry web history तकनीकी परिवर्तन corporate downfall कंपनी का मूल्यांकन historical tech बाजार का नेता Entrepreneurship गिरावट Stanford University व्यापार का सबक internet boom ऐतिहासिक घटनाएं technological change कॉर्पोरेट अहंकार Company Valuation याहू की कहानी market leader इंटरनेट सेवाएं Decline डिजिटल मीडिया business lesson व्यापार रणनीति Historical Events पुरानी तकनीक corporate hubris कॉर्पोरेट अधिग्रहण। Yahoo's story Internet services Digital Media business strategy legacy tech corporate takeover याहू याहू का पतन टेक कंपनी उत्थान और पतन जेरी यांग डेविड फिलो सर्च इंजन वेब पोर्टल इंटरनेट का इतिहास

--Advertisement--