Dattatreya Jayanti 2025 : तीन सिर और छह हाथ जानिए कौन हैं ये देवता जिनके आगे त्रिदेव भी नतमस्तक हो गए
News India Live, Digital Desk: हम अक्सर अलग-अलग मनोकामनाओं के लिए अलग-अलग देवताओं के पास जाते हैं। ज्ञान के लिए ब्रह्मा जी, पालन के लिए विष्णु जी और संकट काटने के लिए भोलेनाथ। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे धर्म में एक ऐसा स्वरुप भी है जिसमें ये तीनों महाशक्ति एक साथ समाई हुई हैं? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं भगवान दत्तात्रेय की।
आज (या पूर्णिमा तिथि पर) पूरे देश में 'दत्तात्रेय जयंती' बड़े धूम-धाम से मनाई जा रही है। अगर आप अपने जीवन में गुरु की तलाश में हैं या ज्ञान और शक्ति दोनों चाहते हैं, तो यह दिन आपके लिए गोल्डन चांस है।
आखिर कौन हैं भगवान दत्तात्रेय?
बहुत ही दिलचस्प कहानी है। प्राचीन समय में महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी माता अनसूया थीं। माता अनसूया का पतिव्रता धर्म इतना प्रबल था कि तीनों देवों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) को उनकी परीक्षा लेने धरती पर आना पड़ा। लेकिन माता के तपोबल से तीनों देव छोटे-छोटे बालक बन गए। बाद में, तीनों देवों ने अपने अंश मिलाकर माता अनसूया को एक पुत्र दिया, जिनका नाम हुआ दत्तात्रेय।
इसलिए आप तस्वीरों में देखते होंगे कि भगवान दत्तात्रेय के तीन सिर और छह भुजाएं हैं। वे प्रकृति प्रेमी हैं, उनके साथ हमेशा चार कुत्ते (जो चार वेदों का प्रतीक हैं) और एक गाय (पृथ्वी माता) दिखाई देती हैं। उन्हें दुनिया का 'आदि गुरु' यानी पहला गुरु भी माना जाता है।
पूजा की सबसे सरल विधि (जो आप घर पर कर सकते हैं)
आपको कोई बहुत बड़ा हवन करने की ज़रुरत नहीं है। भगवान दत्तात्रेय भाव के भूखे हैं।
- तैयारी: आज सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। चूंकि इनमें विष्णु जी का भी अंश है और वे गुरु भी हैं, इसलिए पीले रंग के कपड़े पहनना बहुत शुभ माना जाता है।
- स्थान: घर के मंदिर में भगवान दत्तात्रेय की फोटो या मूर्ति रखें। अगर फोटो नहीं है, तो आप ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का ध्यान एक साथ कर सकते हैं।
- दीपक और भोग: घी का दीपक जलाएं। भगवान को पीली मिठाई (जैसे लड्डू या बेसन की बर्फी) और पीले फूल बहुत पसंद हैं।
- मंत्र: पूजा करते समय बहुत ही आसान मंत्र का जाप करें— "दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा" (Digambara Digambara Shripad Vallabh Digambara) या फिर "ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:"।
- गुरु पादुका: अगर आपके पास 'पादुका' (खड़ाऊ) हैं, तो आज उनकी पूजा ज़रूर करें, क्योंकि दत्त संप्रदाय में चरणों की पूजा का बहुत महत्त्व है।
यह दिन क्यों है खास?
मान्यता है कि अगर किसी बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा या आपको सही रास्ता नहीं मिल रहा, तो दत्तात्रेय भगवान की उपासना करने से बुद्धि तेज़ होती है। इसके अलावा, जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए भी आज का दिन किसी वरदान से कम नहीं है। दत्त भगवान की पूजा से पूर्वज शांत होते हैं और घर के झगड़े ख़त्म होते हैं।
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