Data analysis : बिहार में बढ़ी बेरोजगारी इसलिए अपराध बढ़ा ADG कुंदन कृष्णन का बड़ा खुलासा

Post

News India Live, Digital Desk: बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने राज्य में अपराध के पैटर्न को लेकर एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनके अनुसार, बिहार में अपराध के आंकड़ों में मई और जून के महीनों में अक्सर इजाफा देखने को मिलता है। इस वृद्धि के पीछे उन्होंने सीधे तौर पर कृषि श्रमिकों और किसानों की बेरोजगारी को मुख्य वजह बताया है।

कुंदन कृष्णन ने यह बात पुलिस मुख्यालय में पुलिस उपाधीक्षकों (डीएसपी) की एक महत्वपूर्ण कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने समझाया कि आमतौर पर, जब कृषि कार्य पूरे हो जाते हैं और कटाई के बाद किसानों और कृषि श्रमिकों के पास कोई खास काम नहीं होता, तब वे खाली बैठते हैं। यह खालीपन कई बार उन्हें गलत रास्ते पर ले जाता है और कुछ आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की संभावना बढ़ जाती है। उनके विश्लेषण के अनुसार, यही वजह है कि मई और जून का महीना राज्य में आपराधिक घटनाओं के लिहाज से अपेक्षाकृत ज़्यादा संवेदनशील हो जाता है।

डीजीपी ने भी कुंदन कृष्णन के इस बयान को अप्रत्यक्ष रूप से पुष्ट करते हुए कहा कि, आपराधिक घटनाओं के विश्लेषण से यह बात सामने आती है कि अपराधी भी बिहार से ही निकल रहे हैं और कई बार आपराधिक मामलों में उनकी पहचान एक आम नागरिक, यानी किसानों या कृषि मजदूरों के रूप में ही सामने आती है। इसका मतलब है कि अपराधी कहीं बाहर से नहीं आ रहे, बल्कि वे समाज के उन्हीं हिस्सों से हैं जो संभवतः आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं या खाली समय में गलत संगति में पड़ जाते हैं।

एडीजी ने अधिकारियों को इन मौसमी अपराधों से निपटने के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस को ऐसी गतिविधियों और इन दिनों को चिन्हित करना चाहिए, जब लोगों के पास काम नहीं होता और उन पर विशेष नज़र रखनी चाहिए। उनका मानना है कि इस तरह की प्रवृत्ति को समझने और उसी के अनुसार रणनीति बनाने से अपराधों पर लगाम लगाई जा सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अपराध पर अंकुश लगाने के लिए अपराधियों पर लगातार नज़र रखना बेहद ज़रूरी है, खास कर ऐसे समय में जब मौसमी बेरोजगारी के कारण क्राइम बढ़ने की आशंका रहती है। यह बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए एक नया और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को जोड़ने वाला नज़रिया है।

--Advertisement--

Tags:

breaking news latest post latest Breaking post बिहार में बढ़ी बेरोजगारी इसलिए अपराध बढ़ा: ADG कुंदन कृष्णन का बड़ा खुलासा हेडलाइन विकल्प: कृषि बेरोजगारी बनी अपराध की वजह? बिहार में मई-जून में क्यों बढ़ जाती हैं वारदातें ADG ने बताई वजह मौसम का असर अपराध पर! बिहार में खेती से फुर्सत मिलते ही क्राइम क्यों बढ़ जाता है ADG का दावा 'मई-जून में बढ़ जाते हैं क्राइम रेट क्योंकि किसान हो जाते हैं बेरोजगार' ADG कुंदन कृष्णन का बयान एडीजी कुंदन कृष्णन का बड़ा बयान: बिहार में कृषि श्रमिकों की बेकारी बनती है अपराध का कारण बिहार में अपराध नियंत्रण का नया पहलू: डीजीपी ने अपराध में किसानों की भागीदारी पर चि बिना नंबर और बिंदुओं के): बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने राज्य में अपराध के पैटर्न को लेकर एक महत्वपूर्ण और चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनके अनुसार बिहार में अपराध के आंकड़ों में मई और जून के महीनों में अक्सर इजाफा देखने को मिलता है। इस वृद्धि के पीछे उन्होंने सीधे तौर पर कृषि श्रमिकों और किसानों की बेरोजगारी को मुख्य वजह बताया है। कुंदन कृष्णन जब कृषि कार्य पूरे हो जाते हैं और कटाई के बाद किसानों और कृषि श्रमिकों के पास कोई खास काम नहीं होता तब वे खाली बैठते हैं। यह खालीपन कई बार उन्हें गलत रास्ते पर ले जाता है और कुछ आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने की संभावना बढ़ जाती है। उनके विश्लेषण के अनुसार यही वजह है कि मई और जून का महीना राज्य में आपराधिक घटनाओं के लिहाज से अपेक्षाकृत ज़्यादा संवेदनशील हो जाता है। डीजीपी ने भी कुंदन कृष्णन के इस बयान को अप्रत्यक्ष रूप से पुष्ट करते हुए कहा कि आपराधिक घटनाओं के विश्लेषण से यह बात सामने आती है कि अपराधी भी बिहार से ही निकल रहे हैं और कई बार आपराधिक मामलों में उनकी पहचान एक आम नागरिक यानी किसानों या कृषि मजदूरों के रूप में ही सामने आती है। इसका मतलब है कि अपराधी कहीं बाहर से नहीं आ रहे बल्कि वे समाज के उन्हीं हिस्सों से हैं जो संभवतः आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं या खाली समय में गलत संगति में पड़ जाते हैं। एडीजी ने अधिकारियों को इन मौसमी अपराधों से निपटने के लिए एक नया दृष जब लोगों के पास काम नहीं होता और उन पर विशेष नज़र रखनी चाहिए। उनका मानना है कि इस तरह की प्रवृत्ति को समझने और उसी के अनुसार रणनीति बनाने से अपराधों पर लगाम लगाई जा सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अ खास कर ऐसे समय में जब मौसमी बेरोजगारी के कारण क्राइम बढ़ने की आशंका रहती है। यह बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए एक नया और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को जोड़ने वाला नज़रिया है। 50 Keywords (English): Bih ADG Kundan Krishnan Unemployment Farmers Agricultural labor Seasonal unemployment Crime rate increase May-June Police headquarters DSP workshop Economic factors Socio-economic reasons Crime pattern Data Analysis Law and Order Police strategy Criminal Activity Bihar Police Root causes of crime Rural crime Labor migration Livelihood issues crime prevention Unemployed Youth Poverty and crime Seasonal trends Criminal profiling Intelligence Gathering Monitoring criminals Economic distress Crop Season Harvesting period Agricultural cycle DGPS statement Security challenges public safety State administration Law enforcement challenges Social Issues Bihar economy Regional issues Lawbreaking Anti-social elements Criminal Justice System Rehabilitation Employment Generation Social reforms Rural Development Crime statistics Public Discourse

--Advertisement--