Cinematic challenge: सैयारा जैसे बड़े नाम से घट रहा मराठी फिल्मों का स्क्रीन स्पेस
News India Live, Digital Desk: Cinematic challenge: भारतीय फिल्म उद्योग में, अक्सर क्षेत्रीय सिनेमा को बड़े बजट वाली फिल्मों के कारण पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। महाराष्ट्र में भी ऐसा ही हो रहा है, जहाँ मराठी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। हाल ही में, फिल्म 'सैयारा' जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के कारण मराठी फिल्मों को सिनेमाघरों में स्क्रीन स्पेस को लेकर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं के लिए चिंता का विषय रहा है।
यह समस्या मुख्यतः बड़े बॉलीवुड या राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज़ होने वाली फिल्मों के कारण आती है। मल्टीप्लेक्स और एकल स्क्रीन थिएटर अक्सर इन बड़ी फिल्मों को प्राथमिकता देते हैं, खासकर शुरुआती हफ्तों और प्राइम टाइम स्लॉट्स में। इसके पीछे वितरकों का दबाव और बेहतर राजस्व की उम्मीद जैसे कारक होते हैं। वितरक अक्सर ब्लॉक बुकिंग के माध्यम से कई स्क्रीन बुक कर लेते हैं, जिससे मराठी फिल्मों के लिए उपलब्ध शो की संख्या बहुत कम रह जाती है।
परिणामस्वरूप, मराठी फिल्में, भले ही वे गुणवत्ता और कहानी कहने में कितनी भी सशक्त हों, उन्हें पर्याप्त स्क्रीन नहीं मिल पातीं। इससे वे दर्शकों तक पूरी तरह से पहुँच नहीं पातीं, और उनकी बॉक्स ऑफिस कमाई पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। कई बार, अच्छी समीक्षा पाने वाली फिल्में भी सीमित शो और अव्यवस्थित टाइमिंग के कारण दम तोड़ देती हैं। यह केवल फिल्म निर्माताओं का व्यावसायिक नुकसान नहीं है, बल्कि यह मराठी संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने वाले कलात्मक प्रयासों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।
क्षेत्रीय सिनेमा देश की भाषाई विविधता और कहानियों की समृद्धि का प्रतीक है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहाँ मराठी भाषी दर्शक बड़ी संख्या में हैं, वहां की अपनी भाषा की फिल्मों को पर्याप्त जगह न मिलना चिंताजनक है। मराठी फिल्म उद्योग लंबे समय से सरकार और थिएटर मालिकों से यह अपील कर रहा है कि उन्हें समान अवसर दिए जाएं ताकि वे अपनी कला को दर्शकों तक प्रभावी ढंग से पहुँचा सकें और अपनी पहचान बनाए रख सकें।
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