Electronics Industry: चीन के कदम से भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को खतरा, 32 अरब डॉलर का निर्यात दांव पर
Electronics Industry: चीन के अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंधों का भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उद्योग संगठन इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ICEA ने भारत सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि चीन की इस कार्रवाई का एकमात्र उद्देश्य भारत की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करना और वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत के उदय को कमजोर करना है।
चीन के प्रतिबंधों का प्रभाव
चीन ने दुर्लभ मृदा खनिजों, पूंजीगत उपकरणों और अन्य खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, चीन ने अपने कर्मचारियों को वापस बुला लिया है और कुछ कंपनियों को भारत में परिचालन बंद करने का आदेश दिया है। इससे भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में उत्पादन लागत 3-4 गुना बढ़ गई है, क्योंकि इन उपकरणों का घरेलू उत्पादन या जापान और कोरिया से आयात चीन की तुलना में बहुत महंगा है।
भारत का निर्यात लक्ष्य खतरे में
भारत ने 2025 में 64 अरब डॉलर मूल्य के स्मार्टफोन का उत्पादन किया, जिसमें से 24.1 अरब डॉलर का निर्यात किया गया। भारत का लक्ष्य 2026 तक 32 अरब डॉलर मूल्य के स्मार्टफोन निर्यात करना है, लेकिन चीन के इन प्रतिबंधों के कारण यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है। ICEA के सदस्यों, जिनमें Apple, Google, Motorola, Foxconn, Vivo, Oppo, Lava, Dixon, Flex और Tata Electronics जैसी कंपनियाँ शामिल हैं, ने इस पर चिंता व्यक्त की है।
चीन को भारत की प्रगति से डर
2015 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात 167वें स्थान पर था, लेकिन अब भारत एक प्रमुख निर्यातक बन गया है। एप्पल ने अपने विनिर्माण संयंत्र चीन से भारत स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है, जिससे वैश्विक आईफोन उत्पादन का 20% भारत में हो रहा है। यह सब भारत की पीएलआई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना के कारण संभव हुआ है, जिसका लाभ एप्पल ने फॉक्सकॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के माध्यम से उठाया है। इसलिए, भारत की इस प्रगति से चीन चिंतित हो गया है।
2030 तक 155 अरब डॉलर का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है
आईसीईए के अनुसार, चीन के ये कदम भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण विकास को खतरे में डाल रहे हैं। अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी घट सकती है, जिससे 2030 तक 155 अरब डॉलर के विनिर्माण लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
भारत के लिए वैकल्पिक खोज
चीन के प्रतिबंधों के कारण, भारत अब कम लागत पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के अन्य विकल्पों की तलाश कर रहा है। हालाँकि, इन चुनौतियों के बीच, भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए आगे की राह आसान नहीं है।
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