छत्तीसगढ़ ट्रेन हादसे की जांच में आया नया मोड़, लोको पायलट यूनियन ने खोला मोर्चा
News India Live, Digital Desk: छत्तीसगढ़ के सिंहपुर में हुए भयानक ट्रेन हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रेलवे प्रशासन ने अपनी पहली रिपोर्ट में इस पूरी घटना का दोष मालगाड़ी के मृत लोको पायलट और उनके सहायक पर डाल दिया था, लेकिन अब लोको पायलटों की यूनियन ने इस रिपोर्ट को "तथ्यात्मक रूप से गलत" बताते हुए इसके खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
यूनियन का दावा है कि यह हादसा लोको पायलट की गलती से नहीं, बल्कि रेलवे के सिग्नलिंग सिस्टम की एक बहुत बड़ी और जानलेवा चूक की वजह से हुआ है।
जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया था?
रेलवे की शुरुआती जांच रिपोर्ट में यह कहा गया था कि मालगाड़ी के लोको पायलट और सहायक पायलट ने लाल सिग्नल को नज़रअंदाज़ किया (Signal Passed at Danger - SPAD) और मालगाड़ी को लूप लाइन से मेन लाइन पर ले आए, जिससे वह सामने से आ रही शिवनाथ एक्सप्रेस से टकरा गई। इस रिपोर्ट ने सीधे तौर पर मानवीय भूल को हादसे का कारण बताया था।
यूनियन का वो दावा जो कहानी को पलट देता है
ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) ने इस पूरी जांच को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। यूनियन ने सबूतों के साथ कुछ ऐसे तर्क रखे हैं जो रेलवे प्रशासन के दावे की पोल खोल रहे हैं:
- यूनियन का सबसे बड़ा सवाल: यूनियन का कहना है कि मालगाड़ी सिग्नल तोड़कर मेन लाइन पर नहीं आई थी, बल्कि वह टक्कर से दो मिनट पहले से ही मेन लाइन पर खड़ी थी। अगर मालगाड़ी पहले से ही मेन लाइन पर मौजूद थी, तो फिर उसी लाइन पर शिवनाथ एक्सप्रेस को हरा सिग्नल कैसे दे दिया गया?
- एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों को हरा सिग्नल?: यह रेलवे के सेफ़्टी नियमों का सबसे बड़ा उल्लंघन है। यूनियन का कहना है कि यह साफ़ तौर पर सिग्नलिंग सिस्टम और ऑपरेटिंग विभाग की विफलता है, न कि किसी पायलट की गलती।
"मृत साथी पर आरोप बर्दाश्त नहीं"
यह लड़ाई सिर्फ़ सच की नहीं, बल्कि अपने एक मृत साथी के सम्मान की भी है। यूनियन का कहना है कि रेलवे प्रशासन अक्सर ऐसे हादसों के बाद अपनी गलती छिपाने के लिए सारा आरोप मर चुके लोको पायलटों पर डाल देता है। वे बेचारे तो अपना पक्ष रखने के लिए ज़िंदा भी नहीं होते।
यूनियन ने मांग की है कि इस पूरे मामले की एक उच्च-स्तरीय और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और असली गुनाहगारों को सज़ा मिल सके। वे चाहते हैं कि इस हादसे के लिए तकनीकी खामी और सिस्टम की ज़िम्मेदारी तय की जाए, न कि किसी बेगुनाह को कुर्बानी का बकरा बनाया जाए।
यह नया मोड़ इस हादसे की जांच को और भी पेचीदा बना देता है। अब देखना यह है कि क्या रेलवे इस मामले की दोबारा गहराई से जांच करता है या नहीं।
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