Chhattisgarh Naxalism : क्यों की भूपेश बघेल ने शाह की तारीफ? 208 नक्सलियों की उस कहानी ने बदल दी छत्तीसगढ़ की राजनीति

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News India Live, Digital Desk: छत्तीसगढ़ की राजनीति में आमतौर पर कांग्रेस और बीजेपी के नेता एक-दूसरे पर निशाना साधने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते. आरोप-प्रत्यारोप का दौर यहां 24 घंटे चलता है. लेकिन शुक्रवार को कुछ ऐसा हुआ, जिसने न सिर्फ छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता, भूपेश बघेल ने अपने सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, यानी बीजेपी सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की दिल खोलकर तारीफ की. यह कोई बंद कमरे में हुई बात नहीं, बल्कि सार्वजनिक तौर पर दिया गया एक ऐसा बयान था, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी.

आखिर ऐसा क्या हुआ कि 'दुश्मन' भी बन गए 'दोस्त'?

इस तारीफ के पीछे की वजह है छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद के इतिहास में मिली अब तक की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक कामयाबी. हाल ही में राज्य के बस्तर और दंतेवाड़ा इलाके में एक ही दिन में रिकॉर्ड 208 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. यह नक्सलवाद की कमर तोड़ने वाला एक बहुत बड़ा कदम है.

इसी कामयाबी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भूपेश बघेल राजनीति की कड़वाहट को भूल गए. उन्होंने इसे राज्य और देश के लिए एक "बहुत बड़ी सफलता" बताया.

"यह केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का असर है"

भूपेश बघेल ने कहा कि यह कामयाबी केंद्र और राज्य सरकार की बेहतरीन नीतियों और हमारे सुरक्षाबलों की अथक मेहनत का नतीजा है. उन्होंने खास तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों की सराहना की.

पूर्व सीएम ने कहा, "नक्सलियों का इतनी बड़ी संख्या में मुख्य धारा में लौटना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. मैं इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह, केंद्र सरकार, राज्य सरकार और हमारे बहादुर सुरक्षाबलों को बधाई देता हूं. उनकी 'लोन वर्राटू' (घर वापस आइए) जैसी योजनाओं का असर अब जमीन पर दिख रहा है."

यह घटना भारतीय राजनीति का एक वो दुर्लभ और खूबसूरत पल है, जब देश की सुरक्षा और भलाई के मुद्दे पर नेता अपनी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर बात करते हैं. भूपेश बघेल का यह बयान दिखाता है कि जब बात छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने की आती है, तो पूरी राजनीतिक बिरादरी एक साथ खड़ी है.

यह सिर्फ 208 नक्सलियों का सरेंडर नहीं है, बल्कि शांति और लोकतंत्र की एक बहुत बड़ी जीत है.

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