Chhattisgarh High Court : बात बात पर मरने मारने की धमकी देना अब पड़ेगा भारी, कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
News India Live, Digital Desk : शादी का रिश्ता विश्वास और सुकून पर टिका होता है। लेकिन क्या हो जब यही रिश्ता खौफ का दूसरा नाम बन जाए? ज़रा सोचिए, एक पति उस घर में चैन से कैसे सो सकता है, जहाँ उसे हर पल यह डर सताता हो कि कहीं उसकी पत्नी आत्महत्या न कर ले और पूरे परिवार को जेल न भिजवा दे।
छत्तीसगढ़ से एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट (High Court) ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जो उन हज़ारों पतियों के लिए एक नजीर बन गया है, जो इस तरह के डर के साये में जी रहे हैं।
कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि अगर पत्नी बार-बार आत्महत्या (Suicide) की धमकी देती है, तो यह 'मानसिक क्रूरता' (Mental Cruelty) है और इस आधार पर पति को तलाक लेने का पूरा हक़ है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि पूरा मामला क्या है।
मामला क्या था?
यह कहानी एक ऐसे जोड़े की है जिनकी शादी के बाद ही अनबन शुरू हो गई थी। पति का आरोप था कि उसकी पत्नी बात-बात पर झगड़ा करती थी और कहती थी "मैं मर जाऊंगी और तुम सबको फंसा दूंगी।"
बेचारा पति हमेशा इस दहशत में रहता था कि अगर पत्नी ने सच में कुछ कर लिया, तो पुलिस तो उसे ही पकड़ेगी। वह काम पर भी जाता, तो दिमाग घर पर लगा रहता। आखिर में तंग आकर उसने तलाक की अर्जी लगा दी। 'फैमिली कोर्ट' ने पति के दर्द को समझा और तलाक मंजूर कर दिया।
पत्नी पहुंची हाई कोर्ट, पर मिली निराशा
फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पत्नी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसकी दलील थी कि तलाक का आदेश गलत है और वह पति के साथ रहना चाहती है। लेकिन, हाई कोर्ट के जजों ने मामले की गहराई को देखा।
कोर्ट ने क्या कहा? (यह जानना जरुरी है)
जस्टिस ने अपने फैसले में बहुत ही पते की बात कही। उन्होंने कहा कि—
- शादी में डर की जगह नहीं: कोई भी इंसान उस पार्टनर के साथ खुश नहीं रह सकता जो उसे हमेशा झूठे केस में फंसाने या सुसाइड करने की धमकी देता हो।
- मानसिक क्रूरता: लगातार यह कहना कि "मैं जान दे दूंगी", सामने वाले (पति) के दिमाग पर बहुत गहरा असर डालता है। इसे कानूनन 'मानसिक क्रूरता' (Mental Cruelty) माना जाता है।
- शादी टूटने का आधार: ऐसी स्थिति में, जहाँ पति अपनी ही बीवी से डरने लगे, वहाँ शादी का कोई मतलब नहीं रह जाता।
इसलिए, हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और तलाक पर मुहर लगा दी।
समाज के लिए सन्देश
दोस्तों, अक्सर हमारे समाज में पतियों की मानसिक प्रताड़ना पर बात कम होती है। लोग सोचते हैं कि "मर्द को दर्द नहीं होता" या वो संभाल लेगा। लेकिन कानून सबके लिए बराबर है। यह फैसला बताता है कि किसी को भी अपनी जिंदगी खौफ के साये में बिताने की जरूरत नहीं है, चाहे धमकी देने वाला कोई भी हो।
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