छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम ने इल्तिजा मुफ्ती को घेरा दीपु चंद्र दास पर चुप्पी क्यों, क्या जानबूझकर ऐसा किया गया?
News India Live, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर की PDP नेता और महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री ने जमकर निशाना साधा है. उन्होंने इल्तिजा पर आरोप लगाया है कि जम्मू-कश्मीर में हुई एक 'लव जिहाद' (love jihad) जैसी घटना में मारे गए दिपू चंद्र दास नाम के एक लड़के के मामले में उन्होंने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है, जबकि ऐसे मुद्दों पर वे हमेशा खुलकर अपनी राय रखती रही हैं. यह मामला अब एक राजनीतिक मोड़ लेता दिख रहा है.
डिप्टी सीएम अरुण साव ने क्या आरोप लगाए?
छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने सीधे तौर पर इल्तिजा मुफ्ती से सवाल किया है, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लव जिहाद में दीपु चंद्र दास की जान गई, पर इस मामले पर इल्तिजा मुफ्ती ने एक भी शब्द नहीं कहा. यह सामान्य घटना है या जानबूझकर की गई गलती?" साव का इशारा उस भेदभाव की तरफ था, जहां इल्तिजा मुफ्ती कुछ खास मामलों पर अपनी बात रखती हैं, लेकिन ऐसे मामलों पर चुप्पी साध लेती हैं. साव ने इस चुप्पी को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जो इल्तिजा की निष्पक्षता और उनकी राजनीतिक विचारधारा पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं.
कौन थे दीपु चंद्र दास और क्या है 'लव जिहाद' का मामला?
खबरों के मुताबिक, दिपू चंद्र दास नाम का लड़का जम्मू-कश्मीर के बारामूला में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया था. आरोप है कि यह 'लव जिहाद' का मामला था, जिसमें एक हिंदू लड़के को निशाना बनाया गया. कुछ हिंदूवादी संगठन इस मामले में न्याय की मांग कर रहे हैं और अपराधियों को सख्त सजा दिए जाने की अपील कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में ऐसी घटनाओं से सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है.
यह मामला राजनीतिक रंग क्यों ले रहा है?
डिप्टी सीएम अरुण साव ने इस मामले को लेकर इल्तिजा मुफ्ती को इसलिए घेरा है क्योंकि इल्तिजा अक्सर कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय खुलकर रखती हैं. वे मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों पर सोशल मीडिया पर भी सक्रिय रहती हैं. ऐसे में जब कथित तौर पर 'लव जिहाद' के एक मामले में हिंदू समुदाय का एक लड़का मारा गया, तो इल्तिजा की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं. साव ने इसे उनकी 'दोहरी मानसिकता' और 'तुष्टिकरण की राजनीति' से जोड़कर देखा है.
इस मामले से यह साफ होता है कि राजनीतिक बयानबाजियां जम्मू-कश्मीर की संवेदनशील स्थिति को कैसे प्रभावित करती हैं. अब देखना होगा कि इल्तिजा मुफ्ती इस पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं और यह मामला आगे क्या मोड़ लेता है.
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