छठ पूजा को अब मिलेगी दुनिया भर में पहचान, PM मोदी ने किया बड़ा ऐलान
छठ... यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए एक भावना है, एक गहरी आस्था और तपस्या का प्रतीक। उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की यह सदियों पुरानी परंपरा अब सिर्फ बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांवों और शहरों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि जल्द ही इसे पूरी दुनिया में एक खास पहचान मिल सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं घोषणा की है कि भारत सरकार छठ के इस पर्व को यूनेस्को की 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की सूची में शामिल कराने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।
इसका क्या मतलब है?
इसका सीधा सा मतलब है कि छठ पूजा को 'विश्व धरोहर' का दर्जा दिलाया जाएगा। जैसे दुर्गा पूजा को यह सम्मान मिल चुका है, वैसे ही अब छठ पूजा को भी एक ग्लोबल पहचान मिलेगी। यह दुनियाभर को बताएगा कि भारत की यह परंपरा कितनी समृद्ध और खास है।
पीएम मोदी ने छठ व्रतियों को किया नमन
यह घोषणा पीएम मोदी ने दिल्ली में आयोजित एक छठ पूजा कार्यक्रम में भाग लेते हुए की। वहां उन्होंने न सिर्फ उगते सूर्य को अर्घ्य दिया, बल्कि छठ करने वाले व्रतियों, खासकर महिलाओं की कठिन तपस्या को नमन भी किया।
उन्होंने कहा, "छठ पूजा की सबसे बड़ी खासियत इसकी सादगी और पवित्रता है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जहां डूबते सूर्य को भी पूजा जाता ਹੈ, जो हमें यह संदेश देता है कि जो डूबा है, उसका उदय भी निश्चित है।"
क्यों है छठ इतना खास?
पीएम मोदी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि छठ पूजा 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस पूजा में कोई बड़ा या छोटा नहीं होता; अमीर हो या गरीब, सभी मिलकर भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इस परंपरा को पर्यावरण संरक्षण और 'मेड इन इंडिया' से भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि पूजा में इस्तेमाल होने वाली हर चीज - बांस का सूप, मिट्टी के बर्तन - सब कुछ स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाया जाता है, जो आत्मनिर्भर भारत का सच्चा उदाहरण है।
यह खबर उन करोड़ों लोगों के लिए किसी तोहफ़े से कम नहीं है, जिनकी रगों में छठ के प्रति आस्था बहती है। अगर सरकार का यह प्रयास सफल होता है, तो यह सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारी पूरी संस्कृति का सम्मान होगा।
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