Center of unprecedented faith: पाकिस्तान का कटास राज शिव मंदिर जहाँ महादेव के अश्रु से बना कुंड
News India live, Digital Desk : Center of unprecedented faith: भारत और पाकिस्तान के बीच भले ही राजनीतिक दूरियाँ हों, लेकिन कुछ सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल ऐसे हैं जो दोनों देशों की साझा विरासत की कहानियाँ कहते हैं। ऐसा ही एक अद्भुत और ऐतिहासिक शिव मंदिर परिसर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित है – कटास राज शिव मंदिर। यह सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थल है जहाँ हिन्दू धर्म की गहरी पौराणिक मान्यताएँ और प्राचीन इतिहास एक साथ साँस लेते हैं। इसकी पहचान उस पवित्र कुंड से है, जिसके बारे में माना जाता है कि वह भगवान शिव के अश्रु (आँसुओं) से बना है।
भगवान शिव के आँसू और पवित्र 'कटाक्ष कुंड' की कहानी:
कटास राज की सबसे अनूठी और हृदय विदारक कहानी इसके बीच में स्थित पवित्र 'कटाक्ष कुंड' से जुड़ी है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती ने अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में खुद को अग्नि के हवाले कर दिया था (आत्मदाह), तब भगवान शिव अत्यंत क्रोधित और दुखी हुए। वे माता सती के जलते हुए शरीर को लेकर तीनों लोकों में भ्रमण करने लगे, जिससे प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई।
इस असहनीय दुःख और विलाप के दौरान, भगवान शिव की आँखों से दुःख की दो अश्रुधाराएँ बहीं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक अश्रु बूँद से राजस्थान में स्थित 'पुष्कर तीर्थ' का निर्माण हुआ और दूसरी अश्रु बूँद चकवाल (वर्तमान पाकिस्तान) में गिरी, जिससे यहाँ 'कटाक्ष कुंड' बना। इस कुंड के पानी को अत्यंत पवित्र माना जाता है, और यह मान्यता है कि इसमें डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सिर्फ कुंड नहीं, प्राचीन मंदिरों का संगम:
कटास राज परिसर में सिर्फ कटाक्ष कुंड ही नहीं है, बल्कि यह सात प्राचीन मंदिरों का एक समूह है, जिसे स्थानीय लोग 'सतघरा' के नाम से भी जानते हैं। ये मंदिर एक विशेष शैली (चौखंडी शैली) में बनाए गए हैं और इनकी वास्तुकला अत्यंत अद्भुत है। यहाँ पर राम मंदिर, हनुमान मंदिर और शिव मंदिर के अलावा, कुछ जैन मंदिरों के भी अवशेष मिलते हैं, जो इस स्थान की धार्मिक विविधता को दर्शाते हैं।
महाभारत और पांडवों का जुड़ाव:
कटास राज का संबंध महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है। माना जाता है कि अपने वनवास काल के दौरान पांडवों ने कुछ समय इसी स्थान पर बिताया था। यहाँ एक स्थान ऐसा भी है जहाँ धर्मराज युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों के उत्तर दिए थे। इससे इस स्थल का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
साझा विरासत का प्रतीक:
यह प्राचीन शिव मंदिर परिसर सिर्फ धार्मिक श्रद्धा का केंद्र ही नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल भी है, जो भारत और पाकिस्तान दोनों की साझा ऐतिहासिक विरासत का जीवंत प्रमाण है। हालाँकि, समय के साथ इस मंदिर परिसर की स्थिति में कुछ गिरावट आई है, फिर भी यह अपनी कहानियों और महत्व को सँजोए हुए है, और दोनों देशों के श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष स्थान रखता है। यह एक ऐसी धरोहर है, जिसे बचाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
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