बांग्लादेश जैसी स्थिति क्या भारत में भी हो सकती है? शशि थरूर का बड़ा बयान, यूनुस मामले पर दी अहम सलाह
News India Live, Digital Desk : भारत में राजनीतिक चर्चाएं अक्सर अलग-अलग देशों के घटनाक्रमों से भी प्रभावित होती हैं. ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने बांग्लादेश के राजनीतिक हालातों को लेकर भारत को एक महत्वपूर्ण चेतावनी दी है. हाल ही में, बांग्लादेश में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर थरूर ने अपनी गहरी चिंता जताई है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि भारत को यूनुस जैसे लोगों को निशाना बनाने से बचना चाहिए, ताकि देश की स्थिरता और सद्भाव कायम रहे.
दरअसल, प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं, जिनमें वित्तीय अनियमितताएं शामिल हैं. एक अदालती फैसले में उन्हें छह महीने की जेल की सज़ा भी सुनाई गई है. इसी संदर्भ में, शशि थरूर ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जिस तरह से बांग्लादेश में केवल 'एकतरफा लोकतंत्र' बढ़ रहा है, उससे वहां की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है. थरूर का कहना है कि यूनुस जैसे शख्स के साथ सरकार का ऐसा बर्ताव बेहद अफसोसजनक है, और अगर यही रवैया जारी रहा, तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
थरूर ने कहा कि भारत को बांग्लादेश से यह सबक सीखना चाहिए कि लोकतंत्र को चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलना ज़रूरी है. उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि एक देश तभी ठीक से काम कर सकता है, जब वह सबको शामिल करके चले, न कि एक तरफा रास्ते पर. उनका मानना है कि यदि कोई सरकार सिर्फ एक आवाज़ या एक दृष्टिकोण पर चलती है और असहमति की आवाज़ों को दबाती है, तो लंबे समय में देश में अशांति और अस्थिरता फैल सकती है.
उन्होंने यह भी बताया कि लोकतांत्रिक देशों को ऐसे प्रतिष्ठित लोगों को अपमानित नहीं करना चाहिए, जो देश के लिए कुछ अच्छा करते हैं. भारत के संदर्भ में उनका मानना है कि हमारे देश की बड़ी आबादी और विविध समाज को देखते हुए, विभिन्न विचारधाराओं और आवाजों को सम्मान देना बेहद ज़रूरी है. थरूर के इस बयान को देश में बढ़ रही राजनीतिक ध्रुवीकरण और आलोचनाओं को दबाने की कथित कोशिशों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण सलाह के तौर पर देखा जा रहा है.
कुल मिलाकर, शशि थरूर का संदेश स्पष्ट है: किसी भी देश की दीर्घकालिक स्थिरता और प्रगति तभी संभव है, जब सरकारें समावेशी हों और नागरिकों की अलग-अलग आवाज़ों का सम्मान करें.
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