Breastfeeding : एक स्तनपान नवजात शिशु को संक्रमण से कैसे बचाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता का रहस्य
- by Archana
- 2025-08-08 17:39:00
Newsindia live,Digital Desk: नवजात शिशु के जन्म के बाद प्रारंभिक महीने उसके स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं इन नाजुक चरणों के दौरान नवजात शिशु को स्तनपान कराना संक्रमणों से लड़ने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है मां का दूध केवल पोषण का स्रोत नहीं है बल्कि यह शिशुओं के लिए जीवन रक्षक कवच है
स्तन के दूध में एंटीबॉडी और विशेष प्रोटीन जैसे शक्तिशाली घटक होते हैं ये घटक बच्चे के लिए एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली बनाने में सहायता करते हैं स्तन के दूध में विशेष रूप से एक प्रतिरक्षा ग्लोबुलिन होता है जो शरीर के विभिन्न भागों में शिशुओं को विभिन्न संक्रमणों से बचाता है
मां का दूध पोषक तत्वों का एक संतुलित मिश्रण होता है इसमें प्रोटीन वसा शर्करा और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं यह सिर्फ विकास और वृद्धि के लिए जरूरी नहीं है बल्कि एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बनाने में भी सहायता करता है यह बच्चे को दस्त श्वसन संक्रमण कान के संक्रमण मेनिनजाइटिस और अन्य बीमारियों से बचाने में मदद करता है
मां के दूध में विशेष रूप से कुछ शर्कराएँ भी होती हैं जो पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देती हैं यह आंत के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और समग्र प्रतिरक्षा को बढ़ाती हैं इसके अलावा स्तन के दूध में श्वेत रक्त कोशिकाएं भी होती हैं जो सक्रिय रूप से बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन स्तनपान को शिशु के लिए शुरुआती वर्षों में सर्वश्रेष्ठ आहार के रूप में बढ़ावा देता है कम से कम पहले छह महीने विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है उसके बाद पूरक आहार के साथ दो वर्ष या उससे अधिक तक स्तनपान जारी रखा जा सकता है यह अभ्यास शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है जिनमें अस्थमा एलर्जी मोटापा और बचपन के मधुमेह जैसे पुराने रोगों का जोखिम कम करना भी शामिल है यह सिर्फ बच्चे के लिए नहीं बल्कि मां के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है स्तनपान एक ऐसा अमूल्य उपहार है जो बच्चे को न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि भावनात्मक मजबूती भी प्रदान करता है
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