Bollywood veteran Actress : एक एपिसोड के 20 लाख मुमताज ने इंडियन आइडल वालों को बता दिया अपना रेट धर्मेंद्र भी थे साथ
News India Live, Digital Desk : हम सब जानते हैं कि पुराने ज़माने की एक्ट्रेस मुमताज (Mumtaz) आज भी लाखों दिलों की धड़कन हैं। वो टीवी या फिल्मों में कम ही नज़र आती हैं, लेकिन जब आती हैं तो चर्चा होनी तय है। हाल ही में मुमताज ने एक इंटरव्यू में अपनी पर्सनल लाइफ और काम करने के तरीके पर इतनी बेबाकी से बात की है कि सुनकर आपको भी लगेगा- "भाई, इसे कहते हैं असली स्टारडम!"
बात दरअसल ये है कि मुमताज से अक्सर पूछा जाता है कि वो आजकल के रियलिटी शोज़ में जज या गेस्ट बनकर क्यों नहीं आतीं? इस पर मुमताज ने जो जवाब दिया, वो चैनलों और शो मेकर्स के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
"मेरा काम फ्री का नहीं है"
मुमताज ने साफ शब्दों में बताया कि वो आज भी 'फ्री' में या 'सस्ते' में काम करने में विश्वास नहीं रखतीं। उनका फंडा क्लियर है—अगर आपको मुमताज चाहिए, तो मुमताज वाली कीमत भी चुकानी पड़ेगी। उन्होंने खुलासा किया कि इंडियन आइडल (Indian Idol) के जिस एपिसोड में वो धर्मेंद्र (Dharmendra) के साथ नज़र आई थीं, उसके लिए उन्होंने चैनल वालों से 18 से 20 लाख रुपये चार्ज किए थे!
जी हाँ, आपने सही सुना। सिर्फ एक एपिसोड में मेहमान बनकर आने के लिए 20 लाख रुपये।
मुमताज ने बताया कि चैनल वालों ने उन्हें मनाने के लिए न जाने कितने पापड़ बेले थे। वे उन्हें बार-बार अप्रोच करते थे, लेकिन बजट का रोना रोते थे। चैनल वाले कहते थे, "मैम, इतना बजट नहीं है।" लेकिन मुमताज अपनी शर्तों पर अड़ी रहीं। उन्होंने साफ कह दिया था, "तुम लोग दूसरों को बुलाते हो, वो सस्ते में आते होंगे या फ्री में नाच-गाकर चले जाते होंगे, लेकिन मैं मुमताज हूँ। मेरा एक स्टैंडर्ड है।"
आखिरकार, चैनल को झुकना पड़ा और उन्हें मुंहमांगी रकम देकर शो पर बुलाना पड़ा। मुमताज का कहना है कि भगवान की दया से उनके पास सब कुछ है, तो वो टीवी पर जाकर खुद को सस्ता क्यों साबित करें? उनका नजरिया सीधा है— "पैसा फेंको, तमाशा देखो।"
पैसों के लिए छोड़ी थी 'सीता और गीता'!
मुमताज का ये एटीट्यूड आज का नहीं है, वो अपने जमाने में भी अपनी शर्तों पर ही काम करती थीं। उन्होंने एक पुराना किस्सा शेयर करते हुए बताया कि रमेश सिप्पी की सुपरहिट फिल्म 'सीता और गीता' पहले उन्हें ही ऑफर हुई थी (जो बाद में हेमा मालिनी ने की)। उस वक़्त उस फिल्म का बजट बहुत ज्यादा (करीब 40 लाख) था।
सिप्पी साहब चाहते थे कि मुमताज थोड़ी फीस कम कर लें (उस समय मुमताज की फीस करीब 2 से 2.5 लाख हुआ करती थी), लेकिन मुमताज ने साफ़ मना कर दिया। उन्होंने कहा, "जब आप बाकियों को पूरा पैसा दे रहे हैं, तो मेरी फीस में कटौती क्यों?" और बस, इसी स्वाभिमान के चलते उन्होंने वो कल्ट क्लासिक फिल्म छोड़ दी।
आज के दौर में जब एक्टर्स लाइमलाइट में रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, मुमताज का यह अंदाज वाकई काबिल-ए-तारीफ है। भई, शेरनी बूढ़ी हो जाए तो क्या, शिकार करना नहीं भूलती!
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