Bihar's bloody feud : बृज बिहारी हत्याकांड ने फिर दिलाई छोटन शुक्ला और देवेंद्र दुबे के अंत की याद

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News India Live, Digital Desk: बिहार के सियासी और आपराधिक इतिहास में नब्बे का दशक एक खूनी दौर के तौर पर दर्ज है, जब बाहुबली नेता एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे थे. पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में आए हालिया सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उस कालखंड को एक बार फिर ताजा कर दिया है, जब छोटे शुक्ला और देवेंद्र दुबे जैसे माफिया डॉन भी इसी गैंगवार की भेंट चढ़े थे. ये हत्याएं, जिनमें कई बार पुलिस की वर्दी में अपराधी शामिल होते थे, अक्सर वीकेंड पर हुईं और उन्होंने बिहार को लगातार थर्राए रखा था.

बृज बिहारी प्रसाद की हत्या 13 जून 1998 को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में हुई थी, जबकि वह न्यायिक हिरासत में थे और भारी सुरक्षा के बीच टहल रहे थे. उनकी हत्या को कथित तौर पर माफिया डॉन श्री प्रकाश शुक्ला ने एके-47 से अंजाम दिया था. बृज बिहारी की पत्नी रमा देवी ने बाद में भाजपा का दामन थामा और लगातार चुनाव जीतीं. इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, जिसमें पटना हाईकोर्ट ने कई आरोपियों को बरी कर दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुन्ना शुक्ला (विजय शुक्ला) और एक अन्य दोषी की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. हालांकि, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और पूर्व विधायक राजन तिवारी समेत छह अन्य को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है.

बृज बिहारी की हत्या को अक्सर छोटन शुक्ला की हत्या के बदले के रूप में देखा जाता है. मुजफ्फरपुर में चार दिसंबर 1994 को छोटन शुक्ला और उनके चार सहयोगियों को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह घटना तब हुई थी जब वह केसरिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. छोटन शुक्ला की हत्या के बाद, उनकी शवयात्रा के दौरान मुजफ्फरपुर में ही एक भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, जिससे पूरे बिहार से लेकर दिल्ली तक सरकार हिल गई थी. छोटन शुक्ला गैंग की कमान उनके भाई भुटकुन शुक्ला ने संभाली थी, जिन्होंने अपने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया.

इन खूनी संघर्षों में एक और बड़ा नाम मोतिहारी के माफिया डॉन देवेंद्र दुबे का भी था. कहा जाता है कि देवेंद्र दुबे इंजीनियरिंग का छात्र था लेकिन परिस्थितियोंवश वह अपराध की दुनिया में कूद गया. उनका भी कथित तौर पर बृज बिहारी के साथ वर्चस्व का टकराव था. बृज बिहारी, देवेंद्र दुबे और छोटन शुक्ला के गिरोहों के बीच के संघर्ष ने 90 के दशक में बिहार को हिंसा के एक ऐसे दुष्चक्र में धकेल दिया था, जहाँ अपराधी खुलेआम अपनी ताकत का प्रदर्शन करते थे. ये मामले सिर्फ हत्याओं तक सीमित नहीं थे, बल्कि उनमें राजनीतिक संरक्षण और पुलिस-माफिया गठजोड़ के आरोप भी लगे. अदालती प्रक्रियाएँ इन जटिल अपराधों के चक्रव्यूह से निपटने में वर्षों तक उलझी रहीं, और हाल के फैसले उन्हीं वर्षों के इंतजार का परिणाम हैं.

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