बिहार SIR विवाद: CPI(M-L) सांसद खुद कटघरे में, पत्नी के पास मिले दो वोटर कार्ड, चुनावी राजनीति में उबाल

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बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) को लेकर जितना विवाद तेजस्वी यादव पर था, अब वही विवाद लेफ्ट सांसद और CPI(ML) नेता सुदामा प्रसाद के घर तक पहुंच गया है? इस पूरे मामले ने बिहार की सियासत में नई हलचल मचा दी है।

क्या है पूरा मामला?

सीपीआई (एमएल) के आरा से सांसद तथा सुप्रीम कोर्ट में SIR के खिलाफ याचिकाकर्ता सुदामा प्रसाद की पत्नी के पास दो EPIC (मतदाता पहचान पत्र) मिले हैं—ठीक वही मामला, जिसके चलते आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को भी चुनाव आयोग से नोटिस मिला है।

आरोप है कि दो-दो वोटर कार्ड रखने जैसी गड़बड़ियों को रोकने और वोटर लिस्ट सुधारने के लिए बिहार में SIR अभियान चलाया जा रहा है, जिसकी पहली सूची हाल ही में जारी हुई है।

SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) है क्या?

SIR का मकसद मतदान प्रक्रिया को पारदर्शी, अद्यतित और फेयर बनाना है।

इसके तहत पुराने मतदाताओं का डाटा वेरिफाई किया जाता है, नए वोटर्स जोड़े जाते हैं और डुप्लीकेट/अनाधिकृत नाम हटाए जाते हैं।

खास बात यह है कि जिन लोगों ने नामांकन नहीं कराया, उन्हें भी वोटर लिस्ट में जगह दी जाती है।

राजनीति में तगड़ा ट्विस्ट

CPI(ML) लिबरेशन ने खुद SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अब अपने नेता के परिवार में दो वोटर कार्ड मिलने से पार्टी खुद निशाने पर आ गई है।

इससे विपक्ष/सत्ता पक्ष दोनों के लिए राजनीति और गरम हो गई है—क्योंकि दोहरे कार्ड की गड़बड़ी न रोकी जाए तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठना लाजिमी है।

SIR के बहाने पूरे राज्य में वोटर लिस्ट सुधार, पारदर्शिता और फर्जी वोटरों को हटाने की होड़ तेज हो गई है।

आने वाले विधानसभा चुनावों में असर

SIR को लेकर उठ रही आपत्तियों, कोर्ट केस और अब नेताओं के परिवार तक पहुंचे मामलों ने आम जनता के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या वास्तव में वोटर लिस्ट का डेटा साफ हो पाएगा? क्या पुराने सिस्टम की कमियां दूर होंगी?

आने वाले दिन बिहार की राजनीति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया—दोनों के लिए बेहद अहम रहेंगे।

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