Bihar Politics : राजनीति में ईमानदारी का नया फॉर्मूला? प्रशांत किशोर क्यों मांग रहे हैं अपने उम्मीदवारों से पैसे?

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राजनीति की दुनिया में पर्दे के पीछे अक्सर यह बातें सुनने को मिलती हैं कि पार्टियों में टिकटें करोड़ों रुपये में 'बिकती' हैं। टिकट पाने के लिए उम्मीदवार अपनी पूरी जमा-पूंजी लगा देते हैं। लेकिन क्या हो अगर कोई नेता सामने आकर खुलेआम यह कह दे कि "हाँ, हमारी पार्टी में चुनाव लड़ने के लिए आपको पैसे देने होंगे"?

यह चौंकाने वाला, लेकिन सीधा और खरा ऐलान किया है बिहार की राजनीति में हलचल मचाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने।

बिहार में अपनी 'जन सुराज' पदयात्रा के ज़रिए एक नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करने की कोशिश में जुटे प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को एक तय 'सहयोग राशि' यानी फीस देनी होगी।

कितनी है टिकट की 'सरकारी फीस'?

प्रशांत किशोर ने पूरी पारदर्शिता के साथ इसका 'रेट कार्ड' भी बता दिया है:

  • सामान्य वर्ग के पुरुषों के लिए - 1 लाख रुपये
  • महिलाओं (सभी वर्ग) और आरक्षित वर्ग (BC/EBC/SC/ST) के लिए - 50 हजार रुपये

लेकिन रुकिए, कहानी में एक बहुत बड़ा ट्विस्ट है!

इससे पहले कि आप यह सोचने लगें कि यह भी दूसरी पार्टियों की तरह ही पैसा इकट्ठा करने का एक तरीका है, प्रशांत किशोर ने इसके पीछे की पूरी कहानी बताई है, जो बिल्कुल अलग है।

पीके ने साफ किया है, "ये पैसा पार्टी की तिजोरी में एक रुपये भी जमा नहीं होगा।"

तो फिर इन पैसों का होगा क्या?

प्रशांत किशोर के मुताबिक़, यह फीस एक तरह का 'कमिटमेंट टेस्ट' है।

  • उम्मीदवार खुद करेगा खर्च: यह पैसा उम्मीदवार से लेकर उसे ही वापस दे दिया जाएगा, ताकि वह इसे अपने चुनाव प्रचार के शुरुआती कामों, जैसे- पोस्टर छपवाना, बैनर बनवाना, कार्यकर्ताओं के चाय-नाश्ते आदि पर खर्च कर सके। पार्टी इस पैसे को छुएगी भी नहीं।
  • गंभीरता का पैमाना: पीके का मानना है कि जो व्यक्ति अपने चुनाव के लिए 50 हजार या 1 लाख रुपये भी खर्च करने को तैयार नहीं है, वह चुनाव को लेकर कितना गंभीर है, यह पता चल जाता है। यह कदम सिर्फ़ गंभीर और चुनाव लड़ने की सच्ची इच्छा रखने वाले लोगों को ही आगे लाने के लिए है।
  • पारदर्शिता का दावा: जहाँ दूसरी पार्टियों पर करोड़ों रुपये लेकर टिकट देने के आरोप लगते हैं, वहीं पीके इस मॉडल को पूरी तरह से पारदर्शी बता रहे हैं। उनका कहना है, "हम कोई चोर-लुटेरे नहीं हैं। जो करेंगे, सबके सामने करेंगे।"

"10 रुपये के चंदे से चलती है पार्टी"

प्रशांत किशोर ने जोर देकर कहा कि उनकी जन सुराज पार्टी किसी अमीर उद्योगपति या ठेकेदार के पैसे से नहीं, बल्कि बिहार की आम जनता के दिए गए 10 रुपये और 100 रुपये के चंदे से चलती है। इसलिए, चुनाव लड़ने की ज़िम्मेदारी भी उम्मीदवार की खुद की होनी चाहिए।

अब सवाल यह उठता है कि क्या राजनीति को 'साफ' करने का प्रशांत किशोर का यह नया और अनोखा फॉर्मूला बिहार की जनता को पसंद आएगा? यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तो तय है कि पीके ने इस ऐलान से बिहार की राजनीति में एक नई बहस ज़रूर छेड़ दी है।

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