Bihar Politics : बदलाव तो चाहते थे, पर जंगलराज का डर खा गया, हार के बाद प्रशांत किशोर का बड़ा खुलासा

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News India Live, Digital Desk :  बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जहां एक तरफ जीत का जश्न है, वहीं दूसरी तरफ हार के कारणों पर मंथन जारी है. इसी बीच, अपनी 'जन सुराज' पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरे रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) ने हार पर अपनी चुप्पी तोड़ी है.उन्होंने जो वजहें गिनाई हैं, वह बिहार की राजनीति की उस नब्ज को पकड़ती हैं, जिसके बारे में हमेशा बात होती रही है.

भले ही पीके की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन उन्होंने नतीजों को लेकर ऐसे सवाल उठाए हैं, जिसने सियासी गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है

लोगों पर हावी था 'जंगलराज' की वापसी का डर

प्रशांत किशोर ने अपनी हार का सबसे बड़ा कारण 'जंगलराज' के डर को बताया है.[1] उन्होंने कहा, "बहुत से लोग मौजूदा सरकार से नाराज थे और बदलाव चाहते थे, लेकिन आखिरी समय में उन्हें यह डर सताने लगा कि अगर उनका वोट बंटा तो 'पुराने दिनों' की वापसी हो सकती है." पीके के मुताबिक, लोगों को लगा कि अगर उन्होंने 'जन सुराज' जैसी नई पार्टी को वोट दिया तो इसका सीधा फायदा लालू प्रसाद यादव की पार्टी को मिल जाएगा और बिहार में फिर से 'जंगलराज' लौट आएगा. इसी एक डर ने सरकार के खिलाफ गुस्से को कम कर दिया और लोगों ने भारी मन से ही सही, लेकिन एनडीए को वोट दे दिया.

चुनाव में पानी की तरह बहाया गया पैसा

पीके ने चुनाव में धनबल के जमकर इस्तेमाल का भी आरोप लगाया है. उनका दावा है कि मतदान से ठीक पहले महिलाओं के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे गए. उन्होंने कहा कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद ऐसा किया गया, जिसने नतीजों पर सीधा असर डाला.] यह एक ऐसा गंभीर आरोप है जो चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.

"कुछ तो गड़बड़ है", नतीजों पर उठाए सवाल

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि महीनों की पदयात्रा के दौरान उन्हें जनता से जो फीडबैक मिला था, चुनावी नतीजे उसके बिल्कुल विपरीत आए हैं. उन्होंने साफ कहा कि उनके पास चुनाव में धांधली या EVM में गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं है, लेकिन जो आंकड़े आए हैं, वे जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते.उन्हें लगता है कि कोई "अदृश्य शक्ति" भी काम कर रही थी.

भले ही 'जन सुराज' कोई सीट नहीं जीत सकी, लेकिन पार्टी को करीब 2 से 3 फीसदी वोट मिले और 35 से ज़्यादा सीटों पर उसने जीत-हार के अंतर से ज़्यादा वोट हासिल किए. प्रशांत किशोर ने कहा है कि यह अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है और वह बिहार के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

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