Bihar Politics : खींचतान तो होती ही है, मुकेश सहनी ने पहली बार मानी महागठबंधन में सीट बंटवारे पर विवाद की बात
News India Live, Digital Desk : बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी महागठबंधन के नेता भले ही मंच पर एकजुट दिखने की पूरी कोशिश कर रहे हों, लेकिन अब गठबंधन के अंदर की सच्चाई सामने आने लगी है. विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख और 'सन ऑफ मल्लाह' के नाम से मशहूर मुकेश सहनी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर "थोड़ी-बहुत खींचतान" तो चल ही रही है.
उनका यह बयान उस समय आया है जब तेजस्वी यादव अपने 'प्रण पत्र' के जरिए अकेले ही चुनावी माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सहनी के इस बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विपक्ष के इस कुनबे में सबकुछ ठीक-ठाक है?
मुकेश सहनी ने क्या कहा?
जब पत्रकारों ने मुकेश सहनी से महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चल रही चर्चाओं पर सवाल पूछा, तो उन्होंने बिना लाग-लपेट के जवाब दिया. उन्होंने कहा, "जब कई दल एक साथ रहते हैं, एक परिवार में जब 10 लोग होते हैं, तो थोड़ा-बहुत तो होता ही है. यह कोई नई बात नहीं है. हमारा लक्ष्य एक है कि हमें मिलकर भाजपा को हराना है."
सहनी ने आगे अपनी पार्टी की ताकत का एहसास कराते हुए कहा, "आज वीआईपी पार्टी की जो ताकत है, उसे कोई नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता. हमें सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए और मिलेंगी भी."
इस बयान के क्या हैं राजनीतिक मतलब?
मुकेश सहनी का यह बयान सीधे-सीधे RJD और तेजस्वी यादव के लिए एक संदेश है. इसके कई गहरे मायने हैं:
- अंदर की बात आई बाहर: यह पहली बार है जब गठबंधन के किसी बड़े नेता ने खुले तौर पर माना है कि सीटों को लेकर खींचतान या विवाद चल रहा है. अब तक सभी नेता 'ऑल इज वेल' का दावा कर रहे थे.
- दबाव की राजनीति: चुनाव से पहले हर छोटी पार्टी बड़े दलों पर दबाव बनाकर ज़्यादा से ज़्यादा सीटें हासिल करना चाहती है. मुकेश सहनी अपने इस बयान के जरिए RJD को यह याद दिला रहे हैं कि उन्हें कम आंकने की गलती न की जाए.
- अपनी अहमियत जताना: सहनी यह भी बता रहे हैं कि बीजेपी को हराने के लिए सिर्फ RJD काफी नहीं है, बल्कि उनकी पार्टी और उनके वोटर भी उतने ही ज़रूरी हैं. इसलिए, उन्हें गठबंधन में उनका उचित सम्मान मिलना ही चाहिए.
- तेजस्वी के लिए संदेश: यह तेजस्वी यादव के हालिया 'सोलो शो' पर भी एक तरह की प्रतिक्रिया है, जहां उन्होंने अकेले ही 'प्रण पत्र' लॉन्च किया था. सहनी जैसे नेता यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि गठबंधन में फैसले अकेले नहीं, बल्कि मिलकर लिए जाएं.
साफ़ है कि बिहार में महागठबंधन की राह आसान नहीं है. बाहर से भले ही सब एकजुट दिख रहे हों, लेकिन अंदर ही अंदर सीटों और सम्मान की लड़ाई तेज़ हो गई है. मुकेश सहनी ने इस अंदरूनी 'खींचतान' की बात को हवा देकर इस लड़ाई को और भी दिलचस्प बना दिया है.
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