Bihar Politics : अगर हमारा बंदा जीता, तो अभी के अभी मिलेंगे 10 लाख गिरिराज सिंह के इस बयान ने मचा दी सनसनी
News India Live, Digital Desk : चुनाव का मौसम आते ही नेताओं के वादों की झड़ी लग जाती है। कभी बिजली मुफ़्त, कभी पानी मुफ़्त, तो कभी राशन। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि अगर आप किसी पार्टी का समर्थन करें या सर्वसम्मति से नेता चुनें, तो आपके गांव को इनाम में लाखों रुपये नकद (Development Fund) तुरंत मिल जाएं?
कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला ऐलान किया है केंद्रीय मंत्री और बिहार के बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) ने। उनका यह बयान अब सोशल मीडिया पर आग की तरह फ़ैल रहा है और लोग पूछ रहे हैं— "ये विकास की बात है या वोटों का सौदा?"
आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर मंत्री जी ने ऐसा क्या कह दिया जिस पर इतना बवाल मचा है।
क्या है 10 लाख का ऑफर?
असल में, गिरिराज सिंह अपने संसदीय क्षेत्र बेगूसराय (Begusarai) के बरौनी में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। वहां उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों से एक बहुत सीधी बात कही।
उन्होंने अपील की कि अगर गांव के लोग आपसी सहमति से, बिना किसी लड़ाई-झगड़े के एनडीए (NDA) समर्थित उम्मीदवार या बीजेपी (BJP) की विचारधारा वाले व्यक्ति को अपना जनप्रतिनिधि (मुखिया या पंचायत सदस्य) चुनते हैं, तो वह खुश हो जाएंगे।
और इसी खुशी में उन्होंने वादा किया:
"अगर आप सर्वसम्मति से (निर्विरोध) ऐसा प्रतिनिधि चुनते हैं, तो चुनाव का रिजल्ट आते ही मैं अपने सांसद निधि (MPLAD Fund) से तुरंत 10 लाख रुपये गांव के विकास के लिए दे दूंगा।"
मंत्री जी ने यह भी कहा कि "न तो मुझे अर्जी देने की ज़रूरत है, न चिट्ठी लिखने की। बस रिजल्ट दिखाओ और फंड ले जाओ।"
'निर्विरोध' चुनाव पर जोर क्यों?
गिरिराज सिंह का तर्क था कि गांवों में चुनाव के कारण अक्सर रंजिश और लड़ाइयां बढ़ जाती हैं। लोग एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। अगर गांव के लोग मिल-बैठकर एक ही व्यक्ति को नेता चुन लें (Samras Panchayat), तो भाईचारा बना रहेगा।
लेकिन, इस अपील में उन्होंने "बीजेपी या एनडीए समर्थित" होने की जो शर्त जोड़ दी, उसने इसे सियासी मुद्दा बना दिया।
विपक्ष ने घेरा: "यह तो रिश्वत है!"
मंत्री जी का वीडियो वायरल होते ही विपक्ष ने उन पर हमला बोल दिया है। आरजेडी (RJD) और अन्य पार्टियों का कहना है कि यह एक तरह का 'चुनावी प्रलोभन' (Inducement) है। लोकतंत्र में वोट देने के बदले पैसे का लालच देना (चाहे वह विकास के नाम पर ही क्यों न हो) आचार संहिता के खिलाफ माना जाता है।
लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या विकास का पैसा सिर्फ़ उसी गांव को मिलेगा जो बीजेपी का समर्थन करेगा?
आपका क्या सोचना है?
एक तरफ यह तर्क दिया जा सकता है कि निर्विरोध चुनाव से गांवों में झगड़े कम होते हैं और 10 लाख रुपये से गांव में सड़कें या नलियां बनेंगी, जो अच्छी बात है।
वहीं, दूसरी तरफ सवाल यह भी है कि लोकतंत्र में चुनाव का मतलब ही होता है 'मुकाबला'। अगर पैसे का ऑफर देकर मुकाबला ही खत्म कर दिया जाए, तो क्या जनता को सही विकल्प मिल पाएगा?
खैर, बिहार की राजनीति में ऐसे बयान नए नहीं हैं, लेकिन 'नकद इनाम' वाली इस पॉलिटिक्स ने सर्दियों में सियासी पारा जरूर बढ़ा दिया है।
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