Bihar : महिलाओं की सुरक्षा और बच्चों की पढ़ाई पर बढ़ा फोकस, जानिए सरकार का नया एक्शन प्लान

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News India Live, Digital Desk: हम सब जानते हैं कि किसी भी समाज की असली तरक्की तब होती है जब वहां की महिलाएं मजबूत हों और बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो। बिहार में अक्सर योजनाओं की घोषणा तो हो जाती है, लेकिन उसका फायदा आम जनता तक पहुँचते-पहुँचते देर हो जाती है। लेकिन अब लगता है कि सरकार इस 'लेटनाली' को खत्म करने के मूड में है।

ताज़ा खबर पटना के गलियारों से आई है। बिहार में महिला एवं बाल विकास निगम (WCDC) और समाज कल्याण विभाग ने तय किया है कि महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण (Empowerment) से जुड़ी जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, उनकी रफ़्तार बढ़ाई जाएगी। यानी अब काम 'पैसेंजर ट्रेन' की रफ़्तार से नहीं, बल्कि 'वंदे भारत' की स्पीड से होगा।

आइये, आसान शब्दों में समझते हैं कि सरकार ने क्या निर्देश दिए हैं और इससे आपके परिवार को कैसे फायदा होगा।

अधिकारियों को साफ़ निर्देश: "काम में तेजी लाओ"
हाल ही में हुई एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों की क्लास लगाई गई है। सरकार ने साफ़ कर दिया है कि 'मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना' हो या 'परवरिश योजना', इनकी फाइलें दफ्तरों में धूल नहीं फांकनी चाहिए।

विभाग का मानना है कि बजट (पैसा) होने के बावजूद अगर जरूरतमंद महिला या बच्चे को समय पर मदद नहीं मिली, तो उस योजना का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसलिए, जिला स्तर के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे पेंडिंग आवेदनों को फटाफट निपटाएं।

किन योजनाओं पर है ज्यादा फोकस?

  1. बाल विवाह और दहेज बंदी: सरकार समाज सुधार को लेकर बहुत गंभीर है। गांवों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ इन कुप्रथाओं को रोकने के लिए प्रशासन अब ज्यादा सख्ती दिखाएगा।
  2. कन्या उत्थान: बेटियों के जन्म से लेकर उनकी पढ़ाई तक मिलने वाली आर्थिक मदद अब सीधे और जल्दी खातों में भेजी जाएगी।
  3. सुरक्षा और 'वन स्टॉप सेंटर': मुसीबत में फंसी महिलाओं के लिए हर जिले में बने 'वन स्टॉप सेंटर्स' को और एक्टिव किया जाएगा, ताकि उन्हें पुलिस, लीगल और मेडिकल मदद एक ही छत के नीचे तुरंत मिल सके।

जागरूकता ही बचाव है
सरकार ने यह भी माना है कि कई बार लोगों को योजनाओं का पता ही नहीं चलता। इसलिए अब गांवों में जीविका दीदियों (Jeevika Didis) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिए ज्यादा शोर मचाया जाएगा। मकसद साफ़ है हर महिला को उसके हक़ की जानकारी होनी चाहिए।

यह बदलाव क्यों जरूरी था?
अक्सर देखा गया है कि फॉर्म भरने के बाद महिलाएं महीनों दफ्तरों के चक्कर लगाती रहती हैं। कभी 'सर्वर डाउन' तो कभी 'बाबू नहीं आए' जैसे बहाने मिलते हैं। सरकार के इस नए 'एक्सीलेटर' से उम्मीद जगी है कि अब अफसरों की जवाबदेही तय होगी और सिस्टम थोड़ा फुर्तीला बनेगा।

हमारी सलाह
अगर आप बिहार से हैं, तो यह सही समय है। अगर आपके घर में कोई बेटी है या किसी महिला को मदद की जरूरत है, तो संकोच न करें। अपने ब्लॉक या नजदीकी कार्यालय में जाएं और सरकार की इन योजनाओं का लाभ उठाएं। अब सिस्टम आपके साथ खड़ा दिख रहा है।

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